(आलेख : स्वराज करुण)
सामान्य ज्ञान के मूल्यांकन का मापदंड आख़िर क्या होना चाहिए ? क्या कुछ देशों और राज्यों की राजधानियों के बारे में , कुछ तत्कालीन और कुछ वर्तमान राजनेताओं , कुछ विशेष प्रकार के खेलों और खिलाड़ियों , कुछ लेखकों ,कुछ कवियों और कुछ विशेष किताबों के बारे में और खेती -किसानी के बारे में जानकारी रखना और उनके बारे में पूछे गए सवालों के सटीक जवाब देना सामान्य ज्ञान है ? क्या महंगाई और बेरोज़गारी के ताजातरीन आंकड़ों के बारे में , अंतरिक्ष यात्राओं के बारे में , नदियों ,पहाड़ों , धर्मों , सम्प्रदायों और समुदायों की विशेषताओं के बारे में प्रश्नों के सही उत्तर देना सामान्य ज्ञान है ?
अगर कोई इन्हें ही सामान्य ज्ञान की कसौटी मानता है तो भले ही आप उससे सहमत हों ,लेकिन मैं नहीं हो सकता ! मेरे ख़्याल से अलग --अलग विषयों में हर व्यक्ति का सामान्य ज्ञान एक जैसा नहीं हो सकता । अगर आप किसान से किसी बहुचर्चित खेल और खिलाड़ी के बारे में या फिर किसी अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष यात्री के बारे में सवाल पूछेंगे तो ज़रूरी नहीं कि वो उसका सही जवाब दे , क्योंकि उसका कार्यक्षेत्र खेती -किसानी है ,खेल का मैदान या इसरो अथवा नासा की प्रयोगशाला नहीं । आपकी श्रीमतीजी रसोई कला में में जितनी निपुण होंगी ,ज़रूरी नहीं कि उसमें आप भी उतने ही निपुण हों । इस दृष्टि से देखें तो रसोई कला में उनका सामान्य ज्ञान आपसे कहीं ज़्यादा है । अपने परिवेश में होने वाली दिन -प्रतिदिन की प्रमुख घटनाओं की ,अपने समाज और संस्कृति की कुछ न कुछ सामान्य जानकारी हर किसी को होनी चाहिए ,लेकिन अगर नहीं है तो सिर्फ़ इतने भर से उसका जीवन व्यर्थ नहीं हो जाता ।
मोटर मैकेनिक , दर्जी , कारपेंटर ,लोहार , मोची , डॉक्टर , इंजीनियर , राजनेता , अभिनेता ,अभिनेत्री , फ़िल्म निर्माता ,फ़िल्म निर्देशक , गीतकार ,संगीतकार , साहित्यकार , अंतरिक्ष वैज्ञानिक , कृषि वैज्ञानिक आदि हर क्षेत्र के हर व्यक्ति का सामान्य ज्ञान एक जैसा नहीं हो सकता ।वो सब अपने -अपने कार्यों के और अपने -अपने कार्यक्षेत्र के अच्छे जानकार और विशेषज्ञ हो सकते हैं ,अपने काम में माहिर हो सकते हैं , लेकिन यह आवश्यक नहीं कि वो अपने से भिन्न किसी कार्य में पारंगत हों अथवा अपने से इतर किसी कार्यक्षेत्र के जानकार हों । किसी व्यक्ति की सिर्फ इस वज़ह से खिल्ली नहीं उड़ानी चाहिए कि उसे कम्प्यूटर चलाना नहीं आता । हो सकता है वह किसी दूसरे कार्य में दक्ष हो । जो काम आप कर सकते हैं ,उसे कोई दूसरा नहीं कर सकता और जो काम दूसरा कर सकता है ,उसे आप नहीं कर सकते । दोनों का सामान्य ज्ञान अलग-अलग होगा ।
एक व्यक्ति बहुत अच्छा दर्जी हो सकता है और कलात्मक ढंग से हमारे कपड़े सिल सकता है , लेकिन वो डॉक्टरी का भी ज्ञान रखे ,उससे ऐसी उम्मीद नहीं करनी चाहिए । इसी तरह एक व्यक्ति कुशल डॉक्टर या कुशल इंजीनियर हो सकता है ,लेकिन उससे दर्जीगीरी के ज्ञान की उम्मीद करना उचित नहीं । दर्जी का काम कोई डॉक्टर या इंजीनियर नहीं कर सकता और डॉक्टर और इंजीनियर का काम कोई दर्जी नहीं कर सकता ,लेकिन समाज में दोनों को एक -दूसरे की ज़रूरत होती है ।
आप कितने ही धनवान और रसूखदार क्यों न हों ,लेकिन किसी यात्रा में अगर कहीं सड़क पर आपकी गाड़ी में कोई तकनीकी ख़राबी आ जाए तो उसकी मरम्मत के लिए तत्काल उसकी निर्माता कम्पनी का सूटेड -बूटेड इंजीनियर नहीं आने वाला ,आपको आसपास के किसी निरक्षर या अल्प साक्षर 'छोटू मिस्त्री ' की ही शरण में जाना होगा और वही उसकी मरम्मत करेगा ।अब आप बताइए ! वहां पर किसका सामान्य ज्ञान सबसे अधिक और सबसे अच्छा है ? आपका या छोटू मिस्त्री का ? आप कितने ही बड़े तुर्रमखां क्यों न हों ,अगर आपके जूते फट गए हों तो उन्हें सिलने के लिए आपको मोची के पास ही जाना पड़ेगा ।
किसी रसायनशास्त्री से या किसी भौतिक विज्ञानी से हम और आप उम्मीद करें कि वह रामायण ,महाभारत ,वेद -पुराण ,कुरान ,बाइबल जैसे धर्मग्रन्थों की भी व्यापक जानकारी रखे ,तो क्या यह उसके साथ ज्यादती नहीं होगी ? हाँ ,कुछ अपवाद ज़रूर हो सकते हैं ,लेकिन आम तौर पर इस दुनिया में हर कोई हर किसी के कामकाज का ज्ञाता नहीं हो सकता ,लेकिन इस मानव समाज में सबको एक -दूसरे की ज़रूरत होती है ।इसलिए किसी के भी सामान्य ज्ञान का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए । सबका अपना -अपना सामान्य ज्ञान होता है ।अपने -अपने कार्यों में सभी पारंगत होते हैं । ऐसे में यह प्रश्न विचारणीय है कि सामान्य ज्ञान की कसौटी आख़िर क्या होनी चाहिए ?
-स्वराज्य करुण
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