Saturday, September 17, 2022

(आलेख ) बरसात के मौसम में हिंगलाज के फूलों की वासंती रंगत

                                               (आलेख : स्वराज्य  करुण )

बरसात के मौसम में इन दिनों जहाँ -तहाँ हिंगलाज के पीले फूलों की रंगत देखी जा सकती  है। छत्तीसगढ़ सहित भारत के कई राज्यों में इसके  झाड़ीनुमा पौधे कहीं सड़कों के किनारे ,तो कहीं शहरों में  कचरे के ढेर पर अपने फूलों के साथ नज़र आते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में नदी -नालों के किनारे भी इन्हें देखा जा सकता है।  इन्हें जानवर भी अपना आहार नहीं बनाते। तभी तो ये कहीं पर भी शान से खिलते और खिलखिलाते रहते हैं। 


                                                           


  दरअसल वर्षा ऋतु में छोटी -बड़ी कई प्रकार की वनस्पतियाँ  हमारे आस -पास फैली रहती हैं । हममें से ज्यादातर लोग उनके  महत्व और उपयोग से अनभिज्ञ रहते हैं। सिर्फ पारखी नज़रें ही उन्हें पहचान सकती हैं। आयुर्वेद की दृष्टि से हिंगलाज का पौधा भी अत्यंत गुणकारी है और कई बीमारियों ,विशेष रूप से त्वचा रोगों के उपचार में सहायक है।लेकिन ऐसा लगता है  कि इसके औषधीय गुणों के बारे में अधिक प्रचार -प्रसार नहीं हुआ है । यही कारण है कि अधिकांश जनता इसके महत्व से अनजान है।  इसके फूलों और बीजों के संकलन ,विपणन और प्रसंस्करण में संबंधितों की कोई खास  दिलचस्पी नज़र नहीं आ रही है। देखा जाए तो इस पर व्यापक शोध कार्य भी हो सकता है।

     हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में हिंगलाज माता  (हिंगलाजिन  माता) के प्राचीन मंदिर के आस -पास ये पौधे बहुत मिलते हैं।।पाकिस्तान तो 71 साल पहले बना। इसके पहले यह अखंड भारत का ही अंग था। तब से या कहना चाहिए हजारों वर्षों से बलूचिस्तान में हिंगलाजिन माता का मन्दिर हिन्दू ,मुस्लिम ,दोनों ही समुदायों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में भी हिंगलाज माता के मंदिर के नज़दीक के आयुर्वेदिक उद्यान में  ये पौधे बड़ी संख्या में लगाए गए हैं। 

    आयुर्वेद के जानकारों के  अनुसार हिंगलाज की पत्तियों और फूलों से कई बीमारियों का इलाज हो सकता है। जैसे -दाद ,खाज ,खुजली ,एक्जिमा और एड़ियों के फटने की समस्या हो ,तो इसकी 50 ग्राम पत्तियों को पीसकर उसमें 10 ग्राम फिटकरी मिला लें और इस मिश्रण का पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाएं तो आराम मिलता है।इसकी पत्तियाँ अस्थमा के इलाज में भी फायदा पहुँचाती हैं।

     इंटरनेट पर हिंगलाज के पौधे और फूलों के बारे में कई तरह की सूचनाओं का खजाना है ,जिसे खंगाला जा सकता है।   हमारे देश में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान है। बड़ी संख्या में आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी  मेडिकल कॉलेज हैं। भारत सरकार सहित सभी राज्यो के अपने -अपने आयुष विभाग हैं ,जिनके द्वारा इन कॉलेजों का संचालन किया जा रहा है। इन संस्थाओं में हिंगलाज सहित अन्य सभी मौसमी वनस्पतियों का गहन सर्वेक्षण और अनुसंधान होना चाहिए ,ताकि उपयोगी तथ्य प्रकाश में आ सकें। 

   हिंगलाज पौधे के  औषधीय महत्व को देखते हुए इसका संरक्षण बहुत आवश्यक है। अन्यथा बढ़ती आबादी के साथ जैसे -जैसे ख़ाली ज़मीनों पर मकान ,दुकान और सरकारी तथा गैर सरकारी भवन  बनेंगे ,औषधीय महत्व की यह प्रजाति धीरे -धीरे विलुप्त होती जाएगी और एक दिन पूरी तरह से गायब हो जाएगी।

-- स्वराज्य करुण 

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