- स्वराज करुण
मुझे 'श्वान -संस्कृति ' वालों से बहुत डर लगता है । मॉर्निंग और इवनिंग भ्रमण में ले जाना , सड़क पर ही छी -छी और सू -सू कराना ,फिर घर आकर खूब नहलाना ,फिर सोफ़े पर बैठाना ,उनके बाल संवारना , अपने साथ उन्हें भी खिलाना ,पिलाना , रात को बिस्तर पर साथ सुलाना ...! क्या इन्हें घिन नहीं लगती ?
श्वान -संस्कृति के इन ' स्वामी -भक्त पहरेदारों ' को इंसानों से जितना प्यार नहीं ,उससे ज्यादा श्वानों से क्यों ? श्वान -संस्कृति के एक कट्टर समर्थक ने अपने घर में 'डबरा मेन' पाल रखा है तो दूसरे ने अल्सेशियन । दोनों खतरनाक प्रजातियों के कुत्ते हैं । उनके घर जाने में हमारी रूह काँपती है । हमने तो जाना ही छोड़ दिया !
वैसे किसकी मज़ाल है ,जो उनके इन प्यारे 'बेटों' को 'कुत्ता ' कह दे ? एक दिन उनमें से एक मुझे बाज़ार में मिल गया । मैंने कहा -यार ! तुम्हारा कुत्ता बड़ा ख़तरनाक हैं ! वह मुझ पर भड़क गया ! बोला -ख़बरदार ! जो मेरे 'डॉगी' को 'कुत्ता ' कहा ! उसका नाम 'किम जोंग ' है ! मैंने कहा -ये तो उत्तर कोरिया के खूँखार तानाशाह का नाम है ,जो हज़ारों निर्दोष लोगों का क़ातिल है !
मित्र ने कहा - यह क़ातिलों का ज़माना है ! इस ज़माने में सिर्फ़ और सिर्फ़ क़ातिलों की ही चलती है ! क़ातिल ही क़ानून बनाते हैं ,क़ातिल ही क़ानून की रखवाली करते हैं और क़ातिल ही इंसाफ़ भी करते हैं । इसीलिए मैंने इसका नाम इस युग के मशहूर क़ातिल के नाम पर रखा है ।
मैंने 'श्वान -संस्कृति ' के इस स्वामी - भक्त पहरेदार मित्र के 'श्वानोचित ज्ञान और विवेक को मन ही मन प्रणाम किया और हाथ जोड़कर वहाँ से दफ़ा हो गया ।
- स्वराज करुण
मुझे 'श्वान -संस्कृति ' वालों से बहुत डर लगता है । मॉर्निंग और इवनिंग भ्रमण में ले जाना , सड़क पर ही छी -छी और सू -सू कराना ,फिर घर आकर खूब नहलाना ,फिर सोफ़े पर बैठाना ,उनके बाल संवारना , अपने साथ उन्हें भी खिलाना ,पिलाना , रात को बिस्तर पर साथ सुलाना ...! क्या इन्हें घिन नहीं लगती ?
श्वान -संस्कृति के इन ' स्वामी -भक्त पहरेदारों ' को इंसानों से जितना प्यार नहीं ,उससे ज्यादा श्वानों से क्यों ? श्वान -संस्कृति के एक कट्टर समर्थक ने अपने घर में 'डबरा मेन' पाल रखा है तो दूसरे ने अल्सेशियन । दोनों खतरनाक प्रजातियों के कुत्ते हैं । उनके घर जाने में हमारी रूह काँपती है । हमने तो जाना ही छोड़ दिया !
वैसे किसकी मज़ाल है ,जो उनके इन प्यारे 'बेटों' को 'कुत्ता ' कह दे ? एक दिन उनमें से एक मुझे बाज़ार में मिल गया । मैंने कहा -यार ! तुम्हारा कुत्ता बड़ा ख़तरनाक हैं ! वह मुझ पर भड़क गया ! बोला -ख़बरदार ! जो मेरे 'डॉगी' को 'कुत्ता ' कहा ! उसका नाम 'किम जोंग ' है ! मैंने कहा -ये तो उत्तर कोरिया के खूँखार तानाशाह का नाम है ,जो हज़ारों निर्दोष लोगों का क़ातिल है !
मित्र ने कहा - यह क़ातिलों का ज़माना है ! इस ज़माने में सिर्फ़ और सिर्फ़ क़ातिलों की ही चलती है ! क़ातिल ही क़ानून बनाते हैं ,क़ातिल ही क़ानून की रखवाली करते हैं और क़ातिल ही इंसाफ़ भी करते हैं । इसीलिए मैंने इसका नाम इस युग के मशहूर क़ातिल के नाम पर रखा है ।
मैंने 'श्वान -संस्कृति ' के इस स्वामी - भक्त पहरेदार मित्र के 'श्वानोचित ज्ञान और विवेक को मन ही मन प्रणाम किया और हाथ जोड़कर वहाँ से दफ़ा हो गया ।
- स्वराज करुण
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 06.06.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3358 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
रोचक
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