Thursday, August 24, 2017

मौत के सौदागरों को कारोबार की आज़ादी ?

जहर है ,जानलेवा है ,फिर भी उन्हें खुलेआम बेचा जा रहा है ! प्राइवेट टेलीविजन चैनलों में धड़ल्ले से उनके विज्ञापन भी दिखाए जा रहे हैं । राजश्री पान मसाला ,विमल पान पराग और मैकडोनॉल्ड सोडा यानी शराब के विज्ञापन बड़ी बेशर्मी से प्रसारित किए जा रहे हैं !
           ऐसे तमाम जहरीले प्रोडक्ट्स पैकेटों में या बोतलों  में एकदम छोटे अक्षरों में कथित वैधानिक चेतावनी प्रिंट कर दी जाती है कि इनका सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है । ऐसा लिखकर इनके मुनाफाखोर उत्पादनकर्ता कानूनी पचड़े से बच जाते हैं ,लेकिन सवाल ये है कि जब इन पर यह चेतावनी प्रिंट की गई है कि ये वस्तुएं सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं तो इनका उत्पादन क्यों हो रहा है और इन्हें बाज़ार में बेचा ही क्यों जा रहा है और प्राइवेट टेलिविजनों में इनके विज्ञापन दिखाकर लोगों को इन्हें खरीदने के लिए क्यों ललचाया जा रहा है ? मौत का सामान बेचकर ऐसे लोग क्या आम जनता से गद्दारी नहीं कर रहे हैं ?
      जनता की जिन्दगी से मानसिक खिलवाड़ करने वाले ऐसे भ्रामक और घातक विज्ञापनों पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है । जब सिगरेट के विज्ञापन प्रतिबंधित हैं तो इन्हें छूट क्यों मिलनी चाहिए ? वैसे यह भी हद दर्जे की मूर्खता या फिर रूपयों का प्रलोभन नहीं तो और क्या है कि पैकेट पर कैंसरग्रस्त मनुष्य का फोटो छापकर सिगरेट बेचा जा रहा है ! अगर लोगों को बता रहे हो कि सिगरेट पीने से कैंसर हो सकता है तो फिर इसे बना क्यों रहे हो और बेच क्यों रहे हो ? क्या मौत के इन सौदागरों को कारोबार की और विज्ञापनों की आज़ादी मिलनी चाहिए ?    -- स्वराज करुण   

                                                                            

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (26-08-2017) को "क्रोध को दुश्मन मत बनाओ" (चर्चा अंक 2708) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    गणेश चतुर्थी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत -बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्रीजी ।

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