दिल पर हाथ रखकर बताना - क्या कभी ऐसी इच्छा नहीं हुई कि भारत ,पाकिस्तान और बांगला देश मिलकर एक बार फिर अखण्ड भारत बन जाएं ?
आज के दौर में चाहे 14 अगस्त को पाकिस्तान और 15 अगस्त को भारत अपनी आज़ादी का जश्न मनाए ,क्या वह हमारे उस अखण्ड भारत की आज़ादी का जश्न होता है ,जो आज से 70 साल पहले था ? वह तो जिन्ना नामक किसी सिरफ़िरे जिन्न की औलाद की जिद्द और कुटिल अंग्रेजों की क्रूर कूटनीति का ही नतीजा था ,जिसके चलते भारत माता के पूर्वी और पश्चिमी आँचल में विभाजन की काल्पनिक रेखाएं खींच दी गई और भारत खण्डित हो गया ।
देश में आज़ादी के लिए तीव्र होते संघर्षों ने अंग्रेजों को भयभीत कर दिया था । तब ब्रिटिश हुक्मरानों ने जिन्ना को ढाल बनाकर विभाजन की पटकथा तैयार कर ली और लाखों बेगुनाहों के प्राणों की बलि लेकर पाकिस्तान नामक नाजायज राष्ट्र पैदा हो गया ,जिसका एक हिस्सा पूर्वी पाकिस्तान और दूसरा हिस्सा पश्चिमी पाकिस्तान कहलाया ।
यह एक बेडौल विभाजन था । एक ही देश के दोनों हिस्सों के बीच हजारों किलोमीटर का फासला समुद्री या हवाई मार्ग से तय करना पड़ता था । बहरहाल पूर्वी पाकिस्तान अलग होकर स्वतन्त्र बंगला देश बन गया और उधर पश्चिमी पाकिस्तान अब सिर्फ पाकिस्तान कहलाता है । उस वक्त के किसी अंग्रेज हुक्मरान का इरादा था कि वह पाकिस्तान और भारत दोनों की आज़ादी के जश्न में शामिल हो ,इसलिए उसने सिर्फ अपनी सुविधा के लिए 14 अगस्त को पाकिस्तान और 15 अगस्त को भारत की आज़ादी का दिन तय कर दिया । हमारे तत्कालीन नेताओं ने अंग्रेजों के इस प्रस्ताव को सिर झुकाकर स्वीकार भी कर लिया ।
उनकी इसी मूर्खता का खामियाज़ा 70 साल बाद भी हम भुगत रहे हैं । आतंकवाद, सम्प्रदायवाद और अलगाववाद के दंश झेलना हमारी नियति, बन गई है ।समय आ गया है कि इस बीमारी का इलाज किया जाए । भारत ,पाकिस्तान और बांग्लादेश का एकीकरण ही इसका सर्वश्रेष्ठ और चिरस्थायी इलाज होगा ! आखिर 70 साल पहले कहाँ था कोई पाकिस्तान और कहाँ था कोई बांग्लादेश ? खण्डित आज़ादी के इस जश्न के बीच एक ज्वलन्त प्रश्न है यह ! -- स्वराज करुण
आज के दौर में चाहे 14 अगस्त को पाकिस्तान और 15 अगस्त को भारत अपनी आज़ादी का जश्न मनाए ,क्या वह हमारे उस अखण्ड भारत की आज़ादी का जश्न होता है ,जो आज से 70 साल पहले था ? वह तो जिन्ना नामक किसी सिरफ़िरे जिन्न की औलाद की जिद्द और कुटिल अंग्रेजों की क्रूर कूटनीति का ही नतीजा था ,जिसके चलते भारत माता के पूर्वी और पश्चिमी आँचल में विभाजन की काल्पनिक रेखाएं खींच दी गई और भारत खण्डित हो गया ।
देश में आज़ादी के लिए तीव्र होते संघर्षों ने अंग्रेजों को भयभीत कर दिया था । तब ब्रिटिश हुक्मरानों ने जिन्ना को ढाल बनाकर विभाजन की पटकथा तैयार कर ली और लाखों बेगुनाहों के प्राणों की बलि लेकर पाकिस्तान नामक नाजायज राष्ट्र पैदा हो गया ,जिसका एक हिस्सा पूर्वी पाकिस्तान और दूसरा हिस्सा पश्चिमी पाकिस्तान कहलाया ।
यह एक बेडौल विभाजन था । एक ही देश के दोनों हिस्सों के बीच हजारों किलोमीटर का फासला समुद्री या हवाई मार्ग से तय करना पड़ता था । बहरहाल पूर्वी पाकिस्तान अलग होकर स्वतन्त्र बंगला देश बन गया और उधर पश्चिमी पाकिस्तान अब सिर्फ पाकिस्तान कहलाता है । उस वक्त के किसी अंग्रेज हुक्मरान का इरादा था कि वह पाकिस्तान और भारत दोनों की आज़ादी के जश्न में शामिल हो ,इसलिए उसने सिर्फ अपनी सुविधा के लिए 14 अगस्त को पाकिस्तान और 15 अगस्त को भारत की आज़ादी का दिन तय कर दिया । हमारे तत्कालीन नेताओं ने अंग्रेजों के इस प्रस्ताव को सिर झुकाकर स्वीकार भी कर लिया ।
उनकी इसी मूर्खता का खामियाज़ा 70 साल बाद भी हम भुगत रहे हैं । आतंकवाद, सम्प्रदायवाद और अलगाववाद के दंश झेलना हमारी नियति, बन गई है ।समय आ गया है कि इस बीमारी का इलाज किया जाए । भारत ,पाकिस्तान और बांग्लादेश का एकीकरण ही इसका सर्वश्रेष्ठ और चिरस्थायी इलाज होगा ! आखिर 70 साल पहले कहाँ था कोई पाकिस्तान और कहाँ था कोई बांग्लादेश ? खण्डित आज़ादी के इस जश्न के बीच एक ज्वलन्त प्रश्न है यह ! -- स्वराज करुण
विभाजन किसी भी समस्या का समाधान नहीं है....
ReplyDeleteमहाभारत में भी विभाजन करके देखा....
पर अंत में युध ही हुआ....
भारत और पाकिस्तान के मध्य भी महाभारत सा युध निश्चित है....
तभी पुनः अखंड भारत बन सकेगा....
सादर....
कुलदीप जी ! टिप्पणी के लिए धन्यवाद. समस्या के शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है . युद्ध से किसी भी पक्ष को कोई लाभ नहीं होगा ,सिर्फ जन-हानि होगी. द्वितीय विश्वयुद्ध में १९४५ में सिर्फ अमेरिका के पास परमाणु बम था और उसने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम गिराकर लाखों बेगुनाहों की हत्या कर दी थी आज तो अमेरिका ,रूस चीन ,,भारत ,पाकिस्तान सहित कई देशों के पास परमाणु बम हैं और १९४५ से कहीं ज्यादा विनाशकारी हैं . कुछ भी नहीं बचेगा . क्या हम ऐसा ही कोई युद्ध चाहते हैं ,या फिर हमारी लड़ाई भूख ,गरीबी ,बेरोजगारी ,महंगाई ,आतंकवाद जैसी समस्याओं के खिलाफ होनी चाहिए ?
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