खामोश अचानक वातावरण हो गया
भरी सभा द्रौपदी का चीरहरण हो गया !
लुटेरों की बस्ती में चीखते रह जाओगे ,
... खुले आम सपनों का अपहरण हो गया !
... खुले आम सपनों का अपहरण हो गया !
कौन किसे बचाने यहाँ आगे आएगा ,
छुपे हुए चेहरों का अनावरण हो गया !
छुपे हुए चेहरों का अनावरण हो गया !
कौन जाए खोजने सत्य की सीता को ,
राम का हनुमान अब रावण हो गया !
राम का हनुमान अब रावण हो गया !
चरण-धूलि कौन ले अब किसी कृष्ण की
हर कदम कंस का आचरण हो गया !
हर कदम कंस का आचरण हो गया !
रात-दिन,साल सब इस तरह बीत गए ,
वक्त आज बेरहम संस्मरण हो गया !
वक्त आज बेरहम संस्मरण हो गया !
--- स्वराज्य करुण
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
vikram7: आ,साथी नव वर्ष मनालें......
Spicy and Interesting रामचरितमानस Poem Shared by You. Thank You For Sharing.
ReplyDeletePyar Ki Kahani in Hindi