क्या नए साल में डीजल-पेट्रोल ,आटे-दाल का बाज़ार भाव कुछ कम होगा ? क्या मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्चा कम होगा ? क्या दवाइयों की कीमतें घटेंगी ? क्या अस्पतालों में गम्भीर बीमारियों के इलाज के खर्च में और डाक्टरों की फीस में कोई कमी आएगी ? क्या परिवार के लिए गुज़ारे लायक मकान सस्ते में खरीदे जा सकेंगे ? क्या देश और दुनिया के करोड़ों बेरोजगारों को इस नए साल में कोई नौकरी मिलेगी ? कोई रोजगार मिलेगा ?
क्या पर्यावरण की रक्षा के लिए हरे-भरे जंगलों को बचाया जा सकेगा ? क्या इस नए वर्ष में किसानों के स्वाभिमान की रक्षा के लिए खेती को भी उद्योग का दर्जा मिल पाएगा ? क्या दुनिया के विभिन्न देशों के बीच तनातनी खत्म होगी ? क्या रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के कलंक से समाज को मुक्ति मिल सकेगी ? क्या कृष्ण-कन्हैया के देश हमारे भारत में शराब के बदले दूध की नदियाँ बहेंगी ? क्या मिलावटखोरों और मुनाफ़ाखोरों का साम्राज्य खत्म होगा ? क्या इस नए साल में सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के वेतन में ,मालिक और मजदूर की कमाई में ज़मीन-आसमान का अमानवीय फर्क खत्म हो पाएगा ? क्या परिश्रम और योग्यता का कहीं कोई सम्मान होगा ? क्या विदेशी बैंकों में जमा देशी डकैतों की अरबों-खरबों रूपयों की काली कमाई देश में वापस लायी जा सकेगी और उसे देश की तरक्की के कामों में लगाया जा सकेगा ?
अगर यह सब हो पाए ,तब तो साल २०१२ के आने का कोई मतलब है वरना २०११ में ही क्या खराबी थी ? यह सब तो कल यानी २०११ में भी था जैसे -तैसे इन सबको हम झेल ही रहे थे ! वर्ष २०१२ अगर २०११ से कुछ अलग दिखे तब तो उसके आने का कोई अर्थ है , वरना उसका आना व्यर्थ है. मेरे ख़याल से अगर ये तमाम सवाल वर्ष २०११ में भी बिना जवाब के रह गए थे , जिंदगी फिर भी चल रही थी किसी तरह, इसलिए शायद वही ठीक था हमारे लिए .लेकिन भाई लोगों ने २०११ को नौ दो ग्यारह होने के लिए मजबूर कर दिया . --- स्वराज्य करुण
आपको नये वर्ष की बहुत सी शुभकामनाएं। आशा रखना चाहिये और कर्म करना चाहिये बाकी फ़ल तो मनमोहन सिंग और रमन सिंग के हाथ मे है।
ReplyDeleteफ़िलहाल तो कुछ नही बदला …………फिर भी उम्मीद पर दुनिया कायम है…………
ReplyDeleteअपने तईं फर्क लाने का अवसर है शायद...
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