नौकरशाहों , महफ़िलबाजों , मत-वालों के बीच
दबी रह गयी चीख वतन की हमप्यालों के बीच.
कोई मछली कैसे दिखाए मछुआरों को अपने आंसू
उसकी तो किस्मत बंधक है घड़ियालों के बीच.
कितनी बेरहमी से खाया किसी ख़ास ने आम को
आम आदमी दफ़न हो गया कंकालों के बीच.
शहरों से जो चली हवाएं भोले-भाले गांवों में
रोज़-रोज़ है खून-खराबा चौपालों के बीच.
सच कहने की सीख तो शायद बचपन का इक सपना था
नज़रबंद है सत्य -अहिंसा सौ तालों के बीच
दिन-भर मेहनत करके सूरज शाम ढले जब घर लौटा
अंधियारे में खुद को पाया घर वालों के बीच.
फिर भी उनके रंग-महल में रोज़ नाचना -गाना है
डूब रही है नाव देश की घोटालों के बीच .
कल रामू भी राख हो गया मिल की चिमनी के भीतर
आज सुबह से चली है चर्चा हम्मालों के बीच.
खैरात बांटने आ जाएंगे आंसू लेकर कुछ चेहरे
बेनकाब होने से पहले कंगालों के बीच .
अदालतें भी कहाँ सुनेंगी उस बूढ़े इंसान की अर्जी
जिसका बेटा राख हो गया रखवालों के बीच.
स्वराज्य करुण
Andhera chahe jitna bhi ghana ho, subah to aati hi hai. VAASTAV me desh ki achchhi buri sthitiyon k liye kahin na kahin hum hi jimmedaar hain. humne itihaas se kuchh sikhaa nahi hai. ANGREJON ne bharat ko ghulaam banaya to isme angrejon ki kya galti thi, galti hum bharatiyon ki thi. humko us samay angrej ghulam nahi banate, to france banata, purtagali banate,dutch banate, koi na koi to banata hi. jab hamari sthiti hi gulam ban ne layak thi, to ghulam banane wale, lutne wale ki kya galti hai? DUB RAHI HAI NAAV DESH KI GHOTAALON K BEECH- hume koi na koi to lootega hi, chahe dusre desh ka ho ya apne desh ka, KYUNKI HAMARI STHITI HI AISI HAI,HAMARI NIYAT AUR NIYATI HI AISI HAI jiski arji suni nahi jati.
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