वेनेजुएला की इवियाना नामक महिला को लन्दन में आयोजित प्रतियोगिता में कल विश्व सुन्दरी घोषित किया गया .आज के अखबारों में यह समाचार पढ़ कर दिल में कई सवाल उठने लगे,जिन्हें आपके साथ शेयर करना चाहता हूँ .
क्या कोई बता सकता है कि इवियाना को मिलाकर इस प्रतियोगिता के आज तक के इतिहास में विश्व सुन्दरी घोषित हो चुकी महिलाओं की सुंदरता का मापदंड क्या था ? क्या इन महिलाओं ने कभी खेतों-खलिहानों में पसीना बहाया ? क्या इन औरतों ने कहीं किसी ऊंची इमारत के निर्माण में लगी दूसरी महिला श्रमिकों की तरह ईंट-गारा ढोने का काम किया ? क्या इन तथाकथित सुंदरियों ने मदर टेरेसा की तरह कोलकाता जैसे किसी महानगर में अनाथ बच्चों और कुष्ठ पीड़ितों के जख्मों पर प्यार का मरहम लगाकर उनके पुनर्वास की कोई कोशिश की ? क्या परियों जैसी वेश-भूषा वाली इन औरतों ने भारत की झांसी वाली रानी और म्यांमार की 'आंग सांग सूची' की तरह कहीं किसी देश की आज़ादीऔर लोकतंत्र की लड़ाई में अपना कोई योगदान दिया ? क्या इन महिलाओं ने इराक और अफगानिस्तान के युद्ध -पीड़ित लाखों मासूम इंसानों की सहायता के लिए कोई पहल अपनी ओर से की ? क्या इन महिलाओं ने सोमालिया और इथोपिया के अकाल- पीड़ित भूखे-नंगें बच्चों ,और उनके गरीब माता -पिताओं की मदद के लिए अपने हाथ बढ़ाए ? क्या इन पढ़ी-लिखी औरतों ने ऐसा कोई वैज्ञानिक आविष्कार किया ,जिससे सम्पूर्ण मानवता की भलाई हो सके ? क्या अपने चिकने-चुपड़े अर्धनग्न शरीर का प्रदर्शन करने वाली इन फैशनेबल औरतों ने दुनिया के करोड़ों निरक्षरों - बेघरों-बेबसों को सहारा देने का कोई निजी अथवा सामूहिक प्रयास किया ? अगर नहीं ,तो फिर काहे की विश्व-सुन्दरी ? क्या देह दिखाकर विश्व-सुन्दरी का खिताब लेना और उसके एवज में बेशुमार दौलत बटोरना देह-व्यापार जैसा घिनौना व्यवसाय नहीं है ? सुंदरता का मूल्यांकन चेहरे से नहीं ,बल्कि इंसान के अच्छे कार्यों से होना चाहिए . एक हिंदी फिल्म का सदाबहार गीत याद आ रहा है--
दिल को देखो ,चेहरा न देखो ,
चेहरे ने लाखों को लूटा ,
दिल सच्चा और चेहरा झूठा !
दोस्तों ! वेनेजुएला की इवियाना को तथाकथित विश्व-सुन्दरी का ताज पहनाए जाने पर मेरे इन सवालों के जवाब में आप क्या कहना चाहेंगे ?
स्वराज्य करुण
मुश्किल प्रश्न , उत्तर की खोज जारी है| विचारणीय ......
ReplyDeleteविचारणीय मुद्दा तो है ही
ReplyDeleteऐसा करने वाली नारियों को क्या कही भी मान्यता मिली है ... जब समाज, आप-हम ही नहीं मान्यता देते तो प्रतियोगिता वाले क्यों देंगे ....
ReplyDeleteक्यूँ ये प्रतियोगिता करवाने वाली कम्पनियां दिल देखने लगीं तो उनके सौंदर्य सामग्रियों के पीछे कौन भागेगा... मान्यवर इन सुंदरियों और सरकारों को व्यपारी और य्द्योग्प्ती चला रहे हैं|
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