दाम बढाकर पहले ही
छीन लिया है दम ,
आज फिर से फोड़ दिया
उसने पेट्रोल बम /
पूछो तो सही कौन है वो
चीख रही है जनता
और मौन है वो ?
रोज-रोज के धमाके
और ये सितम
लोग मरें या डरें,
उनको नहीं गम /
जनता की जेब
हो रही खाली ठंडी
पर उनकी तिजोरी
दिनों-दिन गरम /
जनतन्त्र के मैदान में
जोड़ कर हाथ ,
जीत कर लड़ाई
जनता से करे घात /
पूछो तो सही कौन है वो ,
चीख रही जनता
और मौन है वो /
कहाँ गया सौ दिन में
कीमत कम करने का वादा,
अब तो है केवल
लूट-खसोट का इरादा /
नेता और अफसर का
गोपनीय समझौता ,
बाँट लेंगे आपस में
आधा -आधा /
देखते ही देखते
हो गए दोनों करोड़पति
साधू के वेश में
न जाने किसको साधा /
न्याय और अन्याय के
महाभारत में
खामोश हैं जो मजबूरी में ,
शायद आचार्य द्रोण हैं वो /
चीख रही जनता
और मौन हैं वो /
- स्वराज्य करुण
छीन लिया है दम ,
आज फिर से फोड़ दिया
उसने पेट्रोल बम /
पूछो तो सही कौन है वो
चीख रही है जनता
और मौन है वो ?
रोज-रोज के धमाके
और ये सितम
लोग मरें या डरें,
उनको नहीं गम /
जनता की जेब
हो रही खाली ठंडी
पर उनकी तिजोरी
दिनों-दिन गरम /
जनतन्त्र के मैदान में
जोड़ कर हाथ ,
जीत कर लड़ाई
जनता से करे घात /
पूछो तो सही कौन है वो ,
चीख रही जनता
और मौन है वो /
कहाँ गया सौ दिन में
कीमत कम करने का वादा,
अब तो है केवल
लूट-खसोट का इरादा /
नेता और अफसर का
गोपनीय समझौता ,
बाँट लेंगे आपस में
आधा -आधा /
देखते ही देखते
हो गए दोनों करोड़पति
साधू के वेश में
न जाने किसको साधा /
न्याय और अन्याय के
महाभारत में
खामोश हैं जो मजबूरी में ,
शायद आचार्य द्रोण हैं वो /
चीख रही जनता
और मौन हैं वो /
- स्वराज्य करुण
सार्थक लेखन ..अच्छी और सत्य को कहती रचना
ReplyDeleteसही है ....सिर्फ जनता पिसती जा रही है
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