Sunday, November 5, 2023

(आलेख) यह देखकर हम जैसे मामूली लोग हैरान हैं !

यह देखकर दुनिया के हम जैसे मामूली लोग हैरान हैं कि हमास और इजरायल के बीच यह निर्मम लड़ाई आख़िर हो क्यों रही है ?इक्कीसवीं सदी में आकर उच्च शिक्षा ग्रहण करने वालों के दिमागों पर इस तरह के पागलपन का ग्रहण क्यों लग गया है? उनकी शिक्षा -दीक्षा पर संदेह होने लगता है। क्या उन्होंने मानवता को बर्बाद करने की शिक्षा हासिल की है ?
टीव्ही चैनलों में आ रहे भयावह दृश्य हर इंसान को विचलित कर रहे हैं। कहीं अस्पतालों पर बम बरसाए जा रहे हैं तो कहीं स्कूलों और शरणार्थी शिविरों पर हमले हो रहे हैं। क्यों इतनी मारकाट मची हुई है ? दोनों पक्षों की बमबारी में हजारों मासूम बच्चे और निरीह नागरिक मारे जा रहे हैं। बस्तियाँ तबाह हो रही हैं। जिन लोगों ने लाखों रूपये खर्च कर कई मंज़िल ऊँची इमारतों में अपने सपनों का आशियाना ख़रीदा था , वे इमारतें भी ज़मींदोज़ हो रही हैं। लोगों के सपनों का आशियाना उजड़ रहा है। बमों के बारूदी धुएँ से दुनिया का वायुमंडल भी प्रदूषित हो रहा है। मानवता कराह रही है। इस निर्मम युद्ध की ख़बरों ने रूस-यूक्रेन युद्ध के समाचारों को भी पीछे ढकेल दिया है।युद्ध चाहे कहीं भी हो रहा हो , उसमें जीत किसी की नहीं होती , हजारों लाखों लोगों की लाशों पर सिर्फ़ मानवता की हार होती है। इसलिए चाहे हमास-इजरायल की लड़ाई हो ,या रूस-यूक्रेन युद्ध , ये हिंसक संघर्ष तत्काल बंद होने चाहिए। इन युद्धों को रोकने में संयुक्त राष्ट्रसंघ की ढुलमुल नीति पूरी दुनिया को निराश कर रही है! - स्वराज करुण

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