Monday, June 5, 2023
(आलेख) सुख - शांति के लिए अपने प्राकृतिक पर्यावरण को बचाइए -- स्वराज्य करुण
लेखक - स्वराज्य करुण) )
विश्व पर्यावरण दिवस आज हमें चीख़- चीख़ कर कह रहा है कि तेजी से तबाह हो रहे अपने प्राकृतिक पर्यावरण को बचा लो , फिर चाहे सामाजिक सांस्कृतिक और राजनीतिक पर्यावरण हो ,चाहे आर्थिक और औद्योगिक पर्यावरण या आपके भीतर का मानसिक पर्यावरण , हर तरह का पर्यावरण स्वच्छ सुंदर और सुरक्षित रहेगा । सुख ,शांति और समृद्धि चाहते हो तो अपने प्राकृतिक पर्यावरण को बचा लो।
लेकिन दिक्कत यह है कि सब कुछ जानते ,समझते हुए भी इंसान पर्यावरण को दूषित कर रहा है और अपने साथ -साथ अपनी दुनिया को भी तबाही के रास्ते पर ले जा रहा है। पहाड़ों की हरियाली को नोच खसोट कर उनके नैसर्गिक सौंदर्य को नष्ट करने में अब शायद किसी को कष्ट नहीं होता। बढ़ती जनसंख्या ,बढ़ते शहरीकरण और तीव्र गति से फलते -फूलते औद्योगिक विकास की वजह से जल ,जंगल और ज़मीन ,तीनों आज गंभीर संकट में हैं। जंगल कट रहे हैं ,तो वहाँ रहने वाले पशु -पक्षियों का जीवन भी खतरे में पड़ गया है। नये जंगल लगाने की जरूरत है।
देश में आज प्लास्टिक और पॉलीथिन का कचरा हमारे पर्यावरण के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। शहरों के साथ साथ हमारे गाँव और कस्बे भी प्लास्टिक प्रदूषण के शिंकजे में है। अधिकांश लोग जानते हैं कि प्लास्टिक कचरे की रिसाइक्लिंग करके उसे दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है ,सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल हो सकता है , लेकिन इंसान हर तरफ प्लास्टिक के डिब्बों बोतलों और पॉलीथिन की थैलियों का उपयोग करने के बाद उन्हें लापरवाही से इधर उधर फेंककर प्रदूषण फैलाने का अपराध कर रहा है । यहाँ तक कि अब तो हमारे महासागर भी इस प्रदूषण की चपेट में आ गए हैं।
यह एक अच्छी पहल है कि भारत सरकार द्वारा देश के कई शहरों में प्लास्टिक इंजीनियरिंग संस्थान संचालित किए जा रहे हैं ,जहाँ युवाओं को इस विषय में प्रशिक्षण के साथ डिग्री /प्रमाणपत्र भी दिये जाते हैं। प्लास्टिक रिसाइकिलिंग में इन युवाओं की प्रतिभा का उपयोग करते हुए उन्हें रोजगार के अवसर दिए जा सकते हैं।
अगर देश में कृषि उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की तरह प्लास्टिक कचरे की सरकारी खरीदी के लिए भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित हो और जगह जगह खरीदी केंद्र बना दिए जाएं तो जहाँ बड़ी संख्या में गरीबों को कुछ अतिरिक्त आमदनी हो सकती है ,वहीं हमारे चारों ओर प्लास्टिक और पॉलीथिन के बेतरतीब फैलते लाखों टुकड़े काफी हद तक साफ़ हो जाएंगे।
दुनिया भर में कई देशों द्वारा समुद्र और ज़मीन के भीतर और हवा में किया जाने वाला परमाणु हथियारों का परीक्षण भी बढ़ते प्रदूषण का एक ख़तरनाक कारण बन गया है। पूरी दुनिया में परमाणु परीक्षणों और परमाणु हथियारों पर कड़ा प्रतिबंध लगा देना चाहिए। विगत एक साल से भी अधिक समय से जारी रूस -यूक्रेन युद्ध में चल रही भीषण बमबारी से जहाँ जन -धन की भारी तबाही हो रही है ,वहीं बमों और बारूदों से वहाँ हवा , पानी और ज़मीन भी प्रदूषित होती जा रही है। पर्यावरण और मानवता की रक्षा के लिए इस युद्ध को तत्काल रोका जाना चाहिए।
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