Thursday, September 3, 2020

(आलेख ) मेड़ों पर खिलने लगे कांस

                       --स्वराज करुण 

भारत में आम तौर पर बरसात का मौसम चार महीने का होता है। आषाढ़ से क्वांर तक या 15जून से 15 अक्टूबर तक। इस बीच खरीफ़ के धान की हरी -भरी बालियों से भरे खेत  हरित गलीचे की तरह नज़र आते हैं। लेकिन इस बीच उन  खेतों की मेड़ों  पर अगर सफ़ेद बालों  वाले रुपहले  कांस के फूल खिलने लगें तो ऐसा माना जाता है कि वर्षा ऋतु समय से पहले ही हमसे विदा होने वाली है। कांस का खिलना शरद ऋतु के आने का संकेत होता है।  

गोस्वामी तुलसीदास जी के महाकाव्य  रामचरित मानस में भगवान श्रीराम एक स्थान पर शरद ऋतु का वर्णन करते हुए अपने अनुज लक्ष्मण से कहते हैं  -

                    बरषा बिगत सरद रितु आई। 

                     लछमन देखहु परम सुहाई॥

                      फूले कास सकल महि छाई। 

                      जनु बरषा कृत प्रगट बुढ़ाई॥1


   यानी बरसात के बीतने पर परम सुहावनी शरद ऋतु आ गयी  है और कांस के फूल सम्पूर्ण पृथ्वी पर छा गए हैं । श्वेत रंग के इन फूलों को देखकर वो कहते हैं - ऐसा लगता है  मानो वर्षा बूढ़ा गयी है ।

 खैर ,  बरसात का बुढ़ाना तो महाकवि की एक दिलचस्प कल्पना मात्र है। जलवायु परिवर्तन के इस वैश्विक संकट के नाज़ुक समय में वर्षा ऋतु इस बार भले ही समय से पहले विदाई मांग रही हो ,लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि वह अभी कुछ दिन और रुकेगी । फिर अगले साल समय पर आकर पूरे चार महीने हमारे यहाँ मेहमान बनकर रहेगी !

(तस्वीर -आँखन देखी ,व्हाया मेरा मोबाइल कैमरा)

6 comments:

  1. हार्दिक आभार सुशील जी।

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    1. बहुत -बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्रीजी।

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (05-09-2020) को   "शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ"   (चर्चा अंक-3815)   पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
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    1. हार्दिक आभार आदरणीय शास्त्रीजी । चर्चा मंच के माध्यम से सभी ब्लॉगर मित्रों को एक -दूसरे की रचनाओं से परिचित होने का एक अच्छा मंच आप प्रदान करते हैं । चर्चा मंच का अब तक 3815 प्रस्तुतिकरण अपने आप में एक बड़ा कीर्तिमान है। इसके लिए आप और आपके साथी प्रस्तुतकर्ता निश्चित रूप से बधाई के पात्र हैं । हार्दिक अभिनंदन ।

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