देवी -देवताओं के दर्शन के लिए
उसने पत्नी के आग्रह पर मन्दिर जाने का कार्यक्रम बनाया ,लेकिन कुछ देर
बाद प्रोग्राम कैंसिल करना पड़ा ! कारण यह कि दोनों मन्दिरों के रास्तों पर
ट्रकों की लम्बी -लम्बी कतारें लगी हुई थी और ट्रैफिक क्लियर होने में कम
से कम एक घंटे का समय लगना तय था ! घर वापसी की भी जल्दी थी ! ऐसे में
मन्दिर दर्शन का प्रोग्राम अधूरा रह जाने पर वापसी में रास्ते भर पत्नी
अपने पति पर नाराजगी का कहर बरपाती रही ! उसने कहा - ये तुमने
अच्छा नहीं किया ! भगवान को भी गच्चा दे दिया ! वे अब तुमको देख लेंगे !
वह रास्ते भर भयभीत होकर सोचता रहा - पत्नी तो नाराज हुई ,लेकिन क्या
दोनों मन्दिरों के देवी-देवता भी नाराज हो रहे होंगे और क्या वे भी पत्नी
के पति परमेश्वर पर गुस्से का कहर बरपाएंगे ? वैसे पति तो परमेश्वर होता
है ,भला कोई ईश्वर उस पर क्यों और कैसे कहर बरपाएगा ? परमेश्वर तो ईश्वर से
ज्यादा सीनियर होता है न ?
-स्वराज करुण
-स्वराज करुण
पति केवल एक स्त्री का परमेश्वर होता है ,ईश्वर हर प्राणी का .अब आप सोच लो कौन सीनियर है
ReplyDeleteआदरणीया संगीता जी ! मेरे ब्लॉग पर आने और त्वरित टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ! आपकी टिप्पणी लाजवाब है !
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-07-2017) को 'पाठक का रोजनामचा' (चर्चा अंक-2661) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय रूपचन्द्र शास्त्रीजी ! आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए ह्रदय से आपका आभारी हूँ .
Deleteवाह, एक अलग सी बात
ReplyDeleteआदरणीय ओंकारजी ! आपकी त्वरित टिप्पणी के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद .
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