टी.व्ही. चैनलों में संगीतकार रविशंकर शर्मा के निधन के शोक-समाचार की पट्टी के ऊपर फ़िल्मी जोकरों के फूहड़ होलियाना हँसी-मजाक छाए रहे . शोक समाचार की पट्टी देखकर मैंने फेसबुक पर यह दुखद खबर लिखी , दिवंगत महान संगीतज्ञ का संक्षिप्त जीवन परिचय भी लिखा ,लेकिन फेसबुक की दुनिया में मगन अधिकाँश लोग केवल होली की मस्ती पर आधारित टीका -टिप्पणियों में आपस में व्यस्त नज़र आए .उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं था कि बाबुल की दुआएं लेती जा , आज मेरे यार की शादी है , डोली चढ़ के दुल्हन ससुराल चली और दिल के अरमां आंसुओं में बह गए जैसे सदाबहार फ़िल्मी गीतों को अपने संगीत से सजाने और संवारने वाले संगीतकार 'रवि' अब नहीं रहे . मुंबई के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया .
उन्होंने हिन्दी और मलयालम की कई लोकप्रिय फिल्मों के लिए संगीत दिया. रवि के संगीत से सजी हिन्दी फिल्मों में 'अलबेली (१९५५) , चौदहवीं का चाँद (१९६०), घराना (१९६१) ,खानदान (१९६५) , दो बदन (१९६६), हमराज (१९६७), आँखें (१९६८) और निकाह (१९८२ ) विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं .उन्होंने 'वक्त ' ,नील कमल ' और 'गुमराह' जैसी लोकप्रिय हिन्दी फिल्मों में अपना यादगार संगीत दिया. हिन्दी फिल्म 'घराना' और 'खानदान ' के लिए उन्हें प्रतिष्ठित 'फिल्म फेयर अवार्ड से भी नवाजा गया था. वह मलयालम फ़िल्म जगत में 'बाम्बे रवि' और 'रवि बाम्बे' के नाम से भी लोकप्रिय थे. उनका जन्म दिल्ली में तीन मार्च १९२६ को हुआ था . उनका पारिवारिक नाम रविशंकर शर्मा था. उनके निधन से भारतीय फिल्म संगीत के एक स्वर्णिम युग का अंत हो गया.
यह कैसी विडम्बना है कि एक संगीतकार की दिलकश धुनों से सजे गीतों को गुनगुनाने का लोभ हम नहीं सम्भाल पाते , लेकिन उनकी मौत का कोई नोटिस नहीं लेते ? बहरहाल , दिल को छू लेने वाले रवि के संगीत से सजे सदाबहार फ़िल्मी गीत विभिन्न महफ़िलों में , शादी-ब्याह के आयोजनों में और रेडियो और टेलीविजन पर जब कभी गूंजेंगे , रवि साहब की हमें बहुत याद आएगी. विनम्र श्रद्धांजलि.
सही कहा आपने, यहां जिसके बिकने की सम्भावना होती है वही दिखता है. महान संगीतकार को श्रद्धान्जलि.
ReplyDeleteMAHAN SANGEETKAR KO HARDIK SHRADDHANJALI .
ReplyDeletepranam bhaiya ji aadarniy SHRI RAVI JI KO WINAMRA SHRADHANJALI.
ReplyDeleteरवि, अब नीले गगन के पार.
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजली.
ReplyDeleteविनम्र श्रद्धांजली.
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