माँ की गोद में ,
मासूम मीठी नींद में ,
कितना सुख महसूस करता है
एक नन्हा बच्चा !
पिता की उंगलियां पकड़
पगडंडियों और राजपथों पर
अपने नन्हें नाज़ुक पांवों से
दूरियां नापता दीन-दुनिया से
बेखबर ,बेफिक्र,
एक खुशनुमा एहसास में कितना
सुरक्षित है आज यह बच्चा !
माँ की गोद है -
नदी का किनारा
और पिता की उंगलियां
उसकी नन्हीं दुनिया का सहारा !
लेकिन कल जब अपनी
इस छोटी -सी दुनिया से
निकलकर बहुत बड़े संसार की
पथरीली दहलीज पर रखेगा अपने कदम ,
सपनों के असीम विस्तार में
तूफानी हवाओं के बीच
फैलाएगा अपने पंख ,
क्या तब भी उसे मिलेगा
नदी का वह सुखद किनारा
क्या तब भी उसके साथ होंगी
स्वप्निल -लहरें और
लोरियाँ सुनाती हवाएं ?
क्या तब भी उसे
मिलेंगी उंगलियां
एक सुरक्षित जीवन यात्रा
के लिए ?
सच मानो - तब नहीं रह जाएगा
वह बच्चा कोई नन्हा बच्चा ,
बन जाएगा एक बहुत बड़ा सवाल
जितना भी पंख हिलाएगी चिड़िया
मुक्त होने के लिएउतना ही उलझता जाएगा जाल !
- स्वराज्य करुण
यथार्थ जीवन का...
ReplyDeleteबन जाएगा एक बहुत बड़ा सवाल
ReplyDeleteजितना भी पंख हिलाएगी चिड़िया
मुक्त होने के लिए
उतना ही उलझता जाएगा जाल !
वाह वाह क्या बात है.
बहुत ही सजीव वर्णन
ReplyDelete