स्वराज्य करुण
समझ कर गन्ना ,
उनके लिए अब
खतरनाक हो गए अन्ना !
बरसों बाद कोई तो आया
जिसने दिखाया
कुर्सी के दलालों को आइना ,
गायब हो गया जोश ,
देख कर अपना असली चेहरा
सब खो बैठे होश !
सब खो बैठे होश !
हो गए बदहवास ,
करने लगे बकवास-
करना नहीं था
अन्ना को उपवास !
सीधे -सच्चे इंसान पर
उछालने लगे वो कीचड़,
ये है भ्रष्टाचार का बीहड़ !
सिंहासन होने लगा
जब डावांडोल ,
खुलने लगी जब उनकी पोल ,
ये है भ्रष्टाचार का बीहड़ !
सिंहासन होने लगा
जब डावांडोल ,
खुलने लगी जब उनकी पोल ,
जिनके हाथों में लगी है
दलाली की कालिख ,
आज वही दे रहे हैं अन्ना को
तरह -तरह की सीख !
तरह -तरह की सीख !
ईमानदारी की बात
करोगे तो क्या फायदा ,
भ्रष्टाचार आज बन गया है
समाज का क़ानून -कायदा !
जिसकी शान में हमेशा
रंगा जाता है
अखबार का हर पन्ना !
बताओ कहो कहाँ नहीं
चलती है रिश्वत ,
जिसे देख कर दिमाग
कभी चकराता है तो
कभी जाता है भन्ना !
हर दफ्तर में हैं छोटे-बड़े
कई लालू , राजा ,
कलमाड़ी और खन्ना !
कई लालू , राजा ,
कलमाड़ी और खन्ना !
भ्रष्टाचार मिटाने चाहिए
आज हर गाँव-शहर में
आज हर गाँव-शहर में
हजारे की तरह
हजारों -हजार अन्ना !
अन्ना से घबरा रहा है
तो घबराने दो उसे,
काली कमाई से जो
बन बैठा है सेठ धन्ना !
- स्वराज्य करुण
बहुत खूब !!
ReplyDeleteसही लिखा है आपने !!
राजनीति चाहे जो भी हो..पर लिखा आपने बहुत खूब है..
ReplyDeleteबहुत सुंदर...
बहुत सही लिखा है...बहुत सुंदर...
ReplyDeleteanna needs more support thanks for supporting him
ReplyDeleteसच कहा करुण जी ......हमें चाहिए हर गाँव में अन्ना
ReplyDeleteभ्रष्टाचार के विरोधियों के प्रति भ्रष्टाचारियों को तो तिलमिलाना ही है ।
ReplyDeleteउत्तम रचना । आभार...