Tuesday, December 21, 2010
(गीत ) कौन है वह ?
धान सजे आँगन का सलोना
स्वरुप नहीं देखा है किसने ,
पूनम नहाए खेतों का रूपहला
रूप नहीं देखा है किसने ?
किसने नहीं देखा है कह दो
वृक्षों से छनती चांदनी को ,
झीलों में नीले अम्बर का
प्रतिरूप नहीं देखा है किसने ?
जिसके आंचल की छाया में
जीवन सबका पल रहा है ,
जिसके स्नेह की ताजी हवा में
दीपक -सा वह जल रहा है !
कई जन्मों के पुण्य का फल है
गोद में जिसकी हम जन्मे
जिसने प्राण भरे हैं साथी
मेरे-तेरे सबके मन में !
जिसकी ममता में सच मानो
सागर की गहराई है ,
जिसकी लहराती फसलों में
गीतों की तरुणाई है !
वह मेरी-तेरी सबकी प्यारी
माँ धरती है ,
जिसकी आँखों से प्यार की
गंगा-जमुना झरती है !.
स्वराज्य करुण
बिना चश्मे के यह दिखना कितना मुश्किल है आजकल.
ReplyDeleteshayad koi nahi ...bahut sundar rachna .badhai .mere blog ''vikhyat ''par aapka hardik swagat hai .
ReplyDeleteधरा का स्नेहपूर्ण विम्ब साकार हो उठा है!
ReplyDeleteसुन्दर!
सुन्दर !
ReplyDeleteकिसने नहीं देखा है कह दो
ReplyDeleteवृक्षों से छनती चांदनी को ,
झीलों में नीले अम्बर का
प्रतिरूप नहीं देखा है किसने ?
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Awesome !
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