Saturday, December 18, 2010
(कविता ) सोचो हर इंसान के बारे में !
दिल की हर धड़कन के साथ
आँखों में नए -नए सपने लिए ,
हर पल सोचते हो अपने लिए /
माना कि समय बहुत कीमती है,
फिर भी कुछ पल तो
निकालो अपने पास-पड़ोस ,
अपने गाँव -शहर ,
देश और दुनिया के लिए /
सोचो तुम्हारे माता-पिता की तरह
हर वक्त तुम्हारे साथ खड़े
उन पहाड़ों के लिए ,
जिनकी बांहों से कोई
लगातार छीन रहा है हरियाली की चादर
सोचो तुम्हारी प्यास बुझाने वाली
उन प्यारी नदियों के लिए,
जिनका लगातार हो रहा है अपहरण /
सोचो इस बहती हवा के बारे में
जिसकी मिठास में कोई लगातार
घोल रहा है ज़हरीली कडुवाहट /
सोचो इन मुरझाते पेड़-पौधों के बारे में,
उन पर बसेरा करते परिंदों के बारे में ,
उन्हें उजाड़ते दरिंदों के बारे में
न सोचे अगर आज
तो फिसल जाएगा वक्त
फिर नहीं आएगी कोई आहट
कोई नहीं देगा तुम्हे आवाज़,
छा जाएगी एक गहरी खामोशी /
इसलिए सोचो ज़रा कुछ पल के लिए आज
अपनी धरती के बारे में ,
अपने आसमान के बारे में,
अगर हो तुम हकीकत में कोई इंसान
तो सोचो हर इंसान के बारे में !
स्वराज्य करुण
बहुत अच्छा आह्वान है काव्य के माध्यम से जिसमें समाज और संसार के प्रति गहरी चिंता जताई गई है।
ReplyDeleteबड़ी और उदार सोच.
ReplyDeleteआशावादिता !
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