Monday, August 12, 2019

(आलेख ) गौमाता को मिलना चाहिए ' राष्ट्रीय पशु ' का दर्जा

                           -स्वराज करुण 
            हमें अत्यंत शांत ,शालीन , सौम्य और अहिंसक 'गौमाता'को राष्ट्रीय पशु घोषित करना चाहिए । अभी तो हमारे यहाँ बेहद बेरहम और खूँखार जानवर बाघ को राष्ट्रीय पशु का दर्जा प्राप्त है ।  इस हिंसक जानवर को यह सम्मान वर्ष 1973 से मिला हुआ है । इसके पीछे बाघ को विलुप्तप्राय वन्य जीव मानकर उसके संरक्षण की दलील दी जाती है ।  जहाँ तक संरक्षण का सवाल है ,आप उसे जंगलों  में, अभयारण्यों में  संरक्षण देते रहिए ।
     
    लेकिन जो पशु हमें दूध ,घी ,दही ,मही जैसे पौष्टिक द्रव्यों से उत्तम स्वास्थ्य और ऊर्जा प्रदान करे , जिसकी सन्तान के रूप में बैल हमारी खेती के काम आते हों और इन सब कारणों  से हमारे देश में हजारों साल से गौमाता के रूप में जिसकी पूजा होती चली आ रही है  , आम जन मानस में जिसकी छवि एक माता के रूप में है , जिसके बारे में हमने अपने बचपन की स्कूली किताबों में पढ़ा है कि 'गाय  हमारी माता है ' क्या उस  गौ माता' को राष्ट्रीय पशु का दर्जा नहीं मिलना चाहिए ?  अगर नहीं तो क्यों ? कोई ठोस कारण तो बताए ?
        मेरे खयाल से गौमाता को राष्ट्रीय पशु घोषित कर हमें उसके संरक्षण के लिए हर संभव कदम उठाना चाहिए । अगर सरकारी तौर पर गौ माता को राष्ट्रीय पशु के रूप में मान्यता मिल जाए तो उसे  कचरे के ढेर पर प्लास्टिक ,पॉलीथिन और इस प्रकार के नुकसानदायक पदार्थों को खाने से बचाया जा सकेगा । उसके लिए चारे -पानी की उचित व्यवस्था हो सकेगी ।
     चूंकि तब वह राष्ट्रीय पशु होगी ,इसलिए  उसके संरक्षण के भी ठीक वैसे ही कठोर  कानूनी  प्रावधान  होंगे ,जैसे  वर्तमान में 'बाघ ' के लिए है । इससे गोवंश का भी समुचित संरक्षण और संवर्धन हो सकेगा । गोवंश के गोबर से जैविक खाद बनेगी ,जिससे खेतों की उर्वरकता बढ़ेगी और  शुद्ध अनाज पैदा होगा । रसोईघरों के लिए बायोगैस मिलेगी और  गोमूत्र से पर्याप्त मात्रा में स्वास्थ्यवर्धक औषधियाँ बनायी जा सकेंगी ।
          -स्वराज करुण
(फोटो : इंटरनेट से साभार )
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2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-08-2019) को "खोया हुआ बसन्त" (चर्चा अंक- 3426) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत -बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्रीजी ।

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