कहाँ है क्या पता , उत्तर है लापता !
प्रश्नों के जंगल में
खामोशी फैली है ,
गंगा की तरह
हर नदी आज मैली है !
कौन है जो लूट रहा नदी को बता !
सपनों की आँखों में
टूटन ही टूटन है ,
कसमों की थाली में
वादों की जूठन है !
झुलस गयी आंगन में प्यार की लता !
सीने पर कितने ही
जख्मों के हुए निशान,
माटी का आंचल भी
हो गया लहुलुहान !
आँखों से आकाश की , बरस रही घटा !
-स्वराज्य करुण
प्रश्नों के जंगल में
खामोशी फैली है ,
गंगा की तरह
हर नदी आज मैली है !
कौन है जो लूट रहा नदी को बता !
सपनों की आँखों में
टूटन ही टूटन है ,
कसमों की थाली में
वादों की जूठन है !
झुलस गयी आंगन में प्यार की लता !
सीने पर कितने ही
जख्मों के हुए निशान,
माटी का आंचल भी
हो गया लहुलुहान !
आँखों से आकाश की , बरस रही घटा !
-स्वराज्य करुण
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