डोनेशनखोर शिक्षा माफिया गिरोह के सदस्य बहुत खुश होंगे .क्यों न हों ?
दिल्ली में उनके पक्ष में फैसला जो आया है ! इस फैसले के अनुसार प्रायवेट
नर्सरी स्कूलों में मासूम बच्चों के दाखिले के लिए फार्मूला वह खुद
बनाएंगे ,सरकार इसमें कोई दखल नहीं दे पाएगी . जनता की निर्वाचित सरकार का कोई हुक्म उन पर नहीं चलेगा . !यानी अब प्रायवेट स्कूलों
में बच्चों के एडमिशन के लिए जमकर होगी रिश्वतखोरी की तर्ज पर डोनेशनखोरी
!. दो-तीन साल की नाजुक उम्र के बच्चों को भी देना होगा इंटरव्यू ,जैसे
किसी नौकरी के लिए बेरोजगार आवेदकों का लिया जाता है साक्षात्कार ! इतना ही
नहीं ,बल्कि इन बच्चों के माता-पिता को भी शिक्षा-माफिया के सामने खड़े
होकर बेरोजगारों की तरह इंटरव्यू देना होगा ! यह शिक्षा के निजीकरण के लिए देश में विगत कई वर्षों से चल रही साजिशों का 'साइड इफेक्ट' है . धन्य है फैसला देने वाला
इन्साफ का नेत्रहीन देवता ! (स्वराज्य करुण )
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (30-11-2014) को "भोर चहकी..." (चर्चा-1813) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'