- स्वराज्य करुण
धरती से आकाश तक सितारों की महफ़िल है.,
पहचानो ज़रा कितनों के पास उनमे दिल है !
यूं तो कई रंगीन यहाँ फूलों से हसीन चेहरे ,
देखो भला किस पर नन्हा सा काला तिल है !
दुनिया की मंडी में रोज रिश्तों का ही सौदा ,
लुटेरों के बाज़ार में कहो किसे क्या हासिल है !
आख़िरी सफर में साथ जाने से वो कतरा गए ,
गैरों की खुशियों के लिए बारात में जो शामिल हैं !
वक्त पे इंसान के जो काम कुछ आया न कभी ,
समझो उस इंसान को कितना वो बुजदिल है !
मौक़ा जब मिला उसने पीठ पर ही वार किया
हमने माना दोस्त नहीं वो अपना ही कातिल है !
दुश्मनों से हमने की जान-बूझ कर दोस्ती ,
शायद उनमे भी कोई इंसानियत के काबिल है !
- स्वराज्य करुण
@मौक़ा जब मिला उसने पीठ पर ही वार किया
ReplyDeleteहमने माना दोस्त नहीं वो अपना ही कातिल है !
ऐसे दोस्त मि्ल जाएं तो दुश्मन की क्या जरुरत है।
बहुत उम्दा नज़म !
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत आज की दुनिया का चेहरा दिखाते अशआर बधाई।
ReplyDeleteखूबसूरत गज़ल ...बहुत कुछ कह दिया ...दोस्तों क आजमाते जाइये दुश्मनों से प्यार हो जायेगा
ReplyDelete'दुश्मनों से हमने की जान-बूझकर दोस्ती '
ReplyDeleteशायद उनमें भी कोई ,इंसानियत के काबिल है '
बेहतरीन शेर......उम्दा ग़ज़ल
दुश्मनों से हमने की जान-बूझ कर दोस्ती ,
ReplyDeleteशायद उनमे भी कोई इंसानियत के काबिल है !
उम्दा ग़ज़ल!
यूं तो सब अच्छा है पर अपना वोट ...
ReplyDeleteवक्त पे इंसान के जो काम कुछ आया न कभी ,
समझो उस इंसान को कितना वो बुजदिल है !
मौक़ा जब मिला उसने पीठ पर ही वार किया
हमने माना दोस्त नहीं वो अपना ही कातिल है !