तुम नेता हो कलि-युग के तुम हो भाग्य विधाता
बिना तुम्हारे धरा-गगन का मिलन नहीं हो पाता !
जब से तुमने लिया थोक में
लोकतंत्र का ठेका ,
मान लिया जनता ने तुमको
अपनी किस्मत का लेखा !
स्वार्थ-प्रलोभन पिता तुम्हारे, धमकी-चमकी माता ,
तुम नेता हो कलि-युग के तुम हो भाग्य विधाता !
तुम ही जग के भू-माफिया,
तीन लोक के स्वामी
मित्र तुम्हारे मृत्यु-लोक के
सारे कुटिल -खल, कामी !
चोर-डकैतों के तुम रक्षक , तुम ही उनके भ्राता,
तुम नेता हो कलि-युग के तुम हो भाग्य-विधाता !
घपलों-घोटालों के प्रणेता
ठग विद्या ज्ञानी ,
तेरी ज्ञान -गर्जना
आगे मौन सबकी वाणी !
किसे जिताना ,किसे हराना , तुमको सब कुछ आता ,
तुम नेता हो कलि-युग के तुम हो भाग्य-विधाता !
लूट मार की काली कमाई ,
पल में होती सफेद
पता नही चलता कभी
किसी को इसका भेद !
झूठ-फरेब का जादू तुमको सबसे बेहतर आता ,
तुम नेता हो कलि-युग के तुम हो भाग्य-विधाता !
धन-पशुओं के संरक्षक
तुम हत्यारों के साथी,
धन्य हो गयी तुमको पाकर
यह धरती ,यह माटी !
विदेशी बैंकों में भी तुम्हारा लबालब है खाता ,
तुम नेता हो कलि-युग के तुम हो भाग्य-विधाता !
. कहीं तेल हो या खेल हो
या हो पशु-चारा ,
सब में अपना ही शेयर
तुमको सबसे प्यारा !
सिंहासन -सुन्दरी से तुम्हारा जनम-जनम का नाता
तुम नेता हो कलि-युग के तुम हो भाग्य विधाता !
- स्वराज्य करुण
समाज-प्रतिनिधि, नेता प्रतीक के लिए कही गई बातें समाज पर तो लागू होती ही हैं.
ReplyDeleteनेतृत्व कमाल का है,
ReplyDeleteये विकास की है धूरी ।
कर लेंगे आकांक्षा पुरी
जो रह गयी है अधूरी।
स्वार्थ-प्रलोभन पिता तुम्हारे, धमकी-चमकी माता
ReplyDeletea real picture of our leaders and politics
नेताओं के चरित्र को कहती अच्छी रचना ..
ReplyDeleteबहुत अच्छी तरह से महिमा मंडित किया है. जो लोग इस लायक हैं की जिनका बखान किया जाय. तो उनका तो होना ही चहिये.
ReplyDeletebouth he aacha blog hai dear....
ReplyDeletenice post
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very nice blog dear........ nice post
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