Thursday, December 30, 2010
(गीत) फिर ये नया साल कैसा है ?
सब कुछ वैसा का वैसा है.
फिर ये नया साल कैसा है.?
जिसके स्वागत में खड़े हैं
धन-पशुओं के होटल ,
जहाँ गरीबों के खून का
सब पीयेंगे बोतल !
मदिरा वालों का देखोगे
निर्मम माया जाल कैसा है ?
खूब जगमग-जगमग होगा
वहाँ अनोखा डांस-फ्लोर ,
जिस पर जम कर नाचेंगे
शहर के सफेद डाकू-चोर !
काले धंधे वालों के संग
सबका कदम-ताल कैसा है ?
लाखों-लाख रूपए उडेंगे
हत्यारों के हाथों से ,
रक्षक भी तो मोहित होंगे
मीठी-मीठी बातों से !
अफसर -नेता , माफिया का
मिला-जुला कमाल कैसा है ?
इनकी यारी -दोस्ती से
दहशत में है देश ,
इनके जादू से हो जाता
रफा-दफा हर केस !
सब तो हैं मौसेरे भाई ,
फिर कोई सवाल कैसा है ?
- स्वराज्य करुण
सब के अपने तौर-तरीके. आइए हम कुछ बेहतर करने की सोचें इस साल.
ReplyDeleteहा हा हा सबकी पोल खोल दी।
ReplyDeleteआपको नव वर्ष की शुभकामनाएं ।
सिर्फ़ लिट्टी चोखा से काम चलाएं।
जिसके स्वागत में खड़े हैं
ReplyDeleteधन-पशुओं के होटल ,
जहाँ गरीबों के खून का
सब पीयेंगे बोतल !bahut badiya karun ji aabhar aapka
बहुत बढ़िया ....यही हाल है देश का ..नव वर्ष की शुभकामनायें
ReplyDeleteसटीक रचना!
ReplyDeleteनववर्ष की शुभकामनाएं!
सरल मगर प्रभावी शब्दों में जैसे वर्तमान स्थिति का सारा हाल बयाँ कर दिया हो.
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना .
फिर भी समय से उम्मीद बाँधे हुए हैं..
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****नए वर्ष वर्ष की ढेरों शुभकामनायें****
नव वर्ष की शुभकामनाएं !
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