Sunday, December 26, 2010
(गज़ल ) बच्चों की मुस्कान में !
खुशनुमा सुबह, हसीन शाम बच्चों की मुस्कान में,
अमन का, प्यार का पैगाम बच्चों की मुस्कान में !
मंदिर-मस्जिद कहाँ -कहाँ खोजोगे भगवान को ,
घर में सारे तीरथ धाम बच्चों की मुस्कान में !
नदी के निर्मल पानी जैसी बहती कल-कल धाराएं
कभी नमस्ते ,कभी सलाम बच्चों की मुस्कान में !
चाँद दूज का आकर जब नील-गगन में मुस्काए,
तब दिखें कृष्ण - बलराम बच्चों की मुस्कान में !
कभी बरसता रिमझिम सावन भोली आँखों से ,
कभी जाड़ में गुनगुन घाम बच्चों की मुस्कान में !
खुदगर्जों की बस्ती में यारों घूम रहे हैं लाखों बेघर ,
जीवन का है सच संग्राम बच्चों की मुस्कान में !
छल-कपट के खौफनाक अंधियारे में डूबी दुनिया में
नादान नन्हीं किरण का नाम बच्चों की मुस्कान में !
- स्वराज्य करुण
बच्चों की निश्चल मुस्कान में भगवान के दर्शन होते हैं।
ReplyDeleteसुबह उठने पर कोई हंसता मुस्कुराता बाल भगवान दिख जाए तो सारा दिन खुशनुमा हो जाता है।
सुंदर गजल के लिए आभार
बहुत सुन्दर गज़ल ....सच ही बच्चों की मुस्कान निश्छल होती है ..
ReplyDeleteयहाँ आपका स्वागत है
गुननाम
बच्चों की मुस्कान में vakai maan ko shanti parivaar ko shanti aur pure desh ko shanti. bahut badiya karun sir
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गज़ल …………बच्चो की मुस्कान सा निश्छल तोकुछ भी नही है जहाँ मे।
ReplyDelete''कभी बरसता रिमझिम सावन भोली आँखों से ,
ReplyDeleteकभी जाड़ में गुनगुन घाम बच्चों की मुस्कान में !''
भाषा प्रयोग बहुत ही आकर्षक.
अति सुन्दर भावपूर्ण रचना....!
ReplyDeleteबच्चों की मुस्कान का दिलचस्प प्रयोग !
ReplyDeletebahut achchi lagi.
ReplyDeleteघर में सारे तीरथ धाम बच्चों की मुस्कान में !
ReplyDeleteसहज सुन्दर तथ्य!!!
सुन्दर गज़ल …
ReplyDeleteभावपूर्ण खू्बसू्रत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
उस खुदा का नूर है बच्चों की निश्छल मुस्कान में ...!
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति..!