Saturday, August 28, 2010

बताना चाहूंगा सिर्फ तुम्हें चुपके से !

जाने क्यों वह आज भी मुझे अपनी ओर खींचता  है ?
मैं भी  न जाने क्यों खिंचा चला जाता हूँ ?
ऐसा क्या है उसके पास मेरे लिए ?
बताना चाहूंगा सिर्फ तुम्हें चुपके से !
लेकिन शर्त केवल इतनी है कि                                           
बताना मत किसी को भी ,
वरना लग जाएगी उस पर किसी की बुरी नज़र !
ऐ दोस्त ! क्या कुछ नहीं है उसके पास
जो मुझे अपनी ओर खींच न सके ?
गहरे नीले आसमान की  साफ़-सुथरी छत
हरी घास पर फ़ैली सुनहरी धूप की मखमली चादर,  
आम,  पीपल , नीम और बरगद की छाँव
जहां घूमते बच्चे -बूढ़े बेफिक्र खाली पांव !
थोड़ी ही दूर पर तेंदू , चार- चिरौंजी और सागौन
का जंगल,
आँगन तक आ जाते हिरण और बन्दर ,
जहां स्याह रातों में आकाश की खुली छत पर
हरियर दमकते सितारों का जमघट और 
पगडंडियों पर जुगनुओं का मेला !
भला कौन वहां  मुझे कहेगा  अकेला ?
रूपहली चांदनी रात में  बचपन के दोस्तों के साथ
तालाब के शांत पानी में  चन्द्रमा को निहारने
का सुख दुनिया में और कहाँ ?,
जहां खेतों से खलिहानों तक, 
नदियों , पर्वत ,मैदानों तक
सुआ-ददरिया , करमा जैसे लोक-गीतों की महक ,
जहां घरों की छानी में लौकी और
कुम्हड़े के फूलों के बीच नन्हीं चिड़ियों की चहक,
भोले चेहरों की निष्कपट मुस्कान,
अभावों में भी जहां दिखे ज़िंदगी की शान !
धूल- भरी वह  धरती
जहां  दबी है नाल मेरी ,
ऐ दोस्त ! वही तो है मेरी ज़िन्दगी का
सबसे कीमती खजाना ,
तुम्हें इस माटी की कसम ! किसी से भी मत कहना,
किसी को भी मत बताना ,
वरना लग जाएगी भू-माफियाओं की ,
शहरी दरिंदों की  बुरी निगाह
मेरे सुंदर -सलोने गाँव पर
हरे-भरे वृक्षों की शांत-शीतल छाँव पर !
                                       स्वराज्य करुण

5 comments:


  1. वाह, स्वराज जी उम्दा बिंब उकेरे हैं आपने।
    एक चित्र सी कविता है
    उम्दा पोस्ट-सार्थक लेखन के लिए आभार

    प्रिय तेरी याद आई
    आपका ब्लॉग4वार्ता पर स्वागत है

    ReplyDelete
  2. बड़ी सुन्दर अभिव्यक्ति है !

    ReplyDelete
  3. behad sundar kavita. gramya jeevan ki saralta aur saundarya ka khubsurat chitran. mujhe mera gaon yaad aa gaya. saadar-BALMUKUND

    ReplyDelete
  4. किसी को भी मत बताना ,
    वरना लग जाएगी भू-माफियाओं की ,
    शहरी दरिंदों की बुरी निगाहों की
    मेरे सुंदर -सलोने गाँव पर
    हरे-भरे वृक्षों की शांत-शीतल छाँव पर !


    वाह !!! कितने अच्छे विचार है .

    ReplyDelete
  5. मेरे लिए तो ऐसा सुंदर बिंब अब ज्‍यादातर कविताओं में ही उपलब्‍ध है.

    ReplyDelete