Sunday, September 30, 2012
Saturday, September 29, 2012
( कविता ) आठ हजार की थाली !
जनता के पैसों से खाते आठ हजार की थाली !
अखबारों में पढकर यह सब जनता देती गाली !!
बेशरम हँसते हैं लेकिन जाम से जाम टकराकर !
जनता के हर आंसू पर वो खूब बजाएं ताली !!
राजनीति व्यापार है उनका भरते रोज तिजोरी !
अखबारों में पढकर यह सब जनता देती गाली !!
बेशरम हँसते हैं लेकिन जाम से जाम टकराकर !
जनता के हर आंसू पर वो खूब बजाएं ताली !!
राजनीति व्यापार है उनका भरते रोज तिजोरी !
कुर्सी उनके लिए सुरक्षित ,साला हो या साली !!
आज़ादी और लोकतंत्र भी उनके चरण पखारें !
जिनके आगे माथ नवाए क़ानून वृक्ष की डाली !!
पढ़ लिख कर बेकार घूमती बेकारों की पलटन !
फिर भी कहते नहीं रहेगा कोई हाथ अब खाली !!
सदा-सदा के लिए सलामत उनके छत्र-सिंहासन !
भले चमन को खा जाए उसका ही कोई माली !!
प्लेटफार्म से सड़कों तक दूध को तरसे बचपन !
लेकिन उनके गालों में हर दिन खिलती लाली !!
राज इसका रह जाएगा राज बन कर हरदम !
राजनीति में आते ही कैसे दूर हुई कंगाली !!
हर चुनाव में साड़ी- कम्बल -दारू का बोलबाला !
असल नोट नेता की जेब में ,जनता को दे जाली !!
हुक्कामों के जश्न से जगमग पांच सितारा होटल !
ड्रिंक-डिनर -डिप्लोमेसी छलकाएं खूब प्याली !!
-स्वराज्य करुण
Wednesday, September 19, 2012
प्रभु ! कैसे करें आपका स्वागत ?
विद्या
और बुद्धि के देवता हे गणेश जी महाराज ! आपका आगमन ऐसे नाजुक समय में हो रहा है जब यह देश मानव शरीरधारी अपने भाग्य विधाताओं की बेजा हरकतों से मुसीबतों के चक्रव्यूह में घिर गया है ! कृपया उन्हें थोड़ी सदबुद्धि तो
दीजिए ,जो डीजल के दाम बढ़ाकर और रसोई गैस सिलेंडरों की कटौती करके आम जनता
को परेशान कर रहे हैं , देशी बाज़ारों को जो विदेशी व्यापारियों के हाथों
गिरवी रखने जा रहे है !
हे विघ्न विनाशक ! हम तो आज धर्म संकट में पड़ गए हैं .इस घोर संकट से हमें जल्द उबारिये प्रभु ! आप ही बताइये ! हम कैसे करें आपका स्वागत ,जब कदम -कदम पर एक से बढ़कर एक विघ्न हमारे सामने पहाड़ की तरह खड़े हो रहे हैं ,
देश में हर तरफ महंगाई का सैलाब नज़र आ रहा है और दाल-आटे का भाव आसमान छूने लगा
है . दूध और फलों के दाम सातवें आसमान पर हैं ! होटलों में नकली दूध और
नकली खोवे की मिठाईयाँ खुले आम बिक रही हैं . हम जानते है - आपको मोदक प्रिय
हैं ,लेकिन हम आपको नकली मोदकों का भोग लगाने का दुस्साहस भला कैसे कर
पाएंगे ? जहां तक फलों की बात करें ,वह भी तो कार्बाइड जैसे घातक रसायनों
में पका कर और नुकसानदायक रंगों में रंग कर बेचे जा रहे है . मिलावटखोरों का धंधा तेजी से चल रहा है और वह जनता की जिंदगी से खुल कर खिलवाड़ कर रहे है .कोई देखने ,रोकने और टोकने वाला नहीं है . डाक्टर आज भी अपने मरीजों
को दूध पीने और फल खाने की सलाह देते हैं ,लेकिन इतनी महंगाई और मिलावट के
इस दौर में यह कैसे संभव है ?
हे गणपति
बप्पा ! आज़ादी के बाद हमारे भारत में लाखों स्कूल और हजारों कॉलेज खुल गए ,लेकिन उनमे
पढ़-लिख कर निकलते युवा हमेशा की तरह बेरोजगारों की अनंत कतार में खड़े रहने को मजबूर हैं .
भ्रष्टाचार की काली कमाई से कुछ लोगों के साधारण मकान अब महल सरीखे सीना
तान कर खड़े नज़र आ रहे हैं . कल तक पुरानी सायकल पर घूमने वाले कुछ लोग
रातों-रात महंगी गाड़ियों के मालिक बन गए हैं. क्या यह सब उन्हें ईमानदारी
की कमाई से प्राप्त हुआ है ? हे गणपति बप्पा ! देश की इस दुर्दशा के लिए
ज़िम्मेदार लोगों को सदबुद्धि के साथ चेतावनी भी दीजिए ! फिर भी अगर वह नहीं
मानते तो क्या आप अपनी अदालत में मुकदमा चलाकर उन्हें दण्डित करेंगे ? तभी
तो हम आपका स्वागत कर पाएंगे ! -- स्वराज्य करुण