tag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post7964341956385169292..comments2023-12-10T15:12:03.790+05:30Comments on मेरे दिल की बात: गर्भाशय ही प्यारा है !Swarajya karunhttp://www.blogger.com/profile/03476570544953277105noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-33196060964609153052010-10-06T06:44:17.132+05:302010-10-06T06:44:17.132+05:30गंभीर चिंतन - उम्दा रचना.गंभीर चिंतन - उम्दा रचना.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-7460535313255010132010-10-05T12:46:41.554+05:302010-10-05T12:46:41.554+05:30बहुत सुन्दर और सारगर्भित प्रस्तुति।बहुत सुन्दर और सारगर्भित प्रस्तुति।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-67822281910465289822010-10-05T07:40:47.406+05:302010-10-05T07:40:47.406+05:30बाऊ जी,
विलक्षण सोच!
आशीष
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प्रायश्चितबाऊ जी,<br />विलक्षण सोच!<br />आशीष<br />--<br />प्रायश्चितसूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-87051347204832556942010-10-04T13:37:12.588+05:302010-10-04T13:37:12.588+05:30चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना ...चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 5-10 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...<br />कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया <br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-52033723526964920262010-10-01T20:28:43.537+05:302010-10-01T20:28:43.537+05:30आप सब की आत्मीय टिप्पणियों का हार्दिक स्वागत. त्वर...आप सब की आत्मीय टिप्पणियों का हार्दिक स्वागत. त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आभार.Swarajya karunhttps://www.blogger.com/profile/03476570544953277105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-87289984323528529122010-10-01T11:48:04.067+05:302010-10-01T11:48:04.067+05:30००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००...००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००.कविता,मार्मिक, विचारोत्तेजक। <b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।</b><br /><a href="http://raj-bhasha-hindi.blogspot.com/2010/10/blog-post.html" rel="nofollow">बदलते परिवेश में अनुवादकों की भूमिका, मनोज कुमार,की प्रस्तुति राजभाषा हिन्दी पर, पधारें</a>राजभाषा हिंदीhttps://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-13212425209467431312010-10-01T11:18:56.648+05:302010-10-01T11:18:56.648+05:30भीतर भी है अन्धकार
...भीतर भी है अन्धकार<br /> बाहर भी अंधियारा है ,<br /> भीतर लेकिन अन्धकार में<br /> गर्भाशय की प्यार भरी गर्माहट है <br /><br />बहुत गहन चिंतन है इस रचना में ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-54468129635811948812010-10-01T08:22:13.225+05:302010-10-01T08:22:13.225+05:30सवाल तो गर्भाशय में भी थे पर अंधेरे की वज़ह से भ्र...सवाल तो गर्भाशय में भी थे पर अंधेरे की वज़ह से भ्रूण नें उन्हें देखा ही नहीं होगा ! उसे बाहर के उजियालों के साथ वाले अन्धेरे से भय क्यों हुआ ? ये भय उजियालों से था कि अंधेरों से ? या कि उनके गडमड हो जाने से ? <br /><br />प्रकृति के वाक्यविन्यास में 'अल्पविराम' की जगह 'पूर्णविराम' लगाने की बात भ्रूण के मन में आई भी तो कैसे ? आगे के शब्द खुरदरे ही सही पर उन्हें पढ़ना होगा !<br /><br />कविता में प्रकटित प्रेम प्रकृति की भाषा / बिम्बों और व्याकरण के विरुद्ध सा लगता है !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-21893453405044542652010-09-30T23:13:50.329+05:302010-09-30T23:13:50.329+05:30यहाँ सवालों की दुनिया में
अंधियारा ही अंधियारा है...यहाँ सवालों की दुनिया में <br />अंधियारा ही अंधियारा है।<br /><br />बहुत गंभीर चिंतन कविता के रुप में।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-2756024494565523862010-09-30T23:11:57.109+05:302010-09-30T23:11:57.109+05:30अच्छी पंक्तिया लिखी है ........
इसे पढ़े और अपने ...अच्छी पंक्तिया लिखी है ........<br /><br />इसे पढ़े और अपने विचार दे :-<br /><a href="http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_30.html" rel="nofollow"> क्यों बना रहे है नकली लोग समाज को फ्रोड ?. </a>ओशो रजनीशhttps://www.blogger.com/profile/02490589981699767958noreply@blogger.com