tag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post1163264022038663537..comments2023-12-10T15:12:03.790+05:30Comments on मेरे दिल की बात: एक खुशनुमा मौसम की हत्या !Swarajya karunhttp://www.blogger.com/profile/03476570544953277105noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-79222975717323899572011-02-09T16:16:53.120+05:302011-02-09T16:16:53.120+05:30उनके घरों में एयर-कंडीशनरों का मुकम्मल इंतजाम है ...उनके घरों में एयर-कंडीशनरों का मुकम्मल इंतजाम है मगर वे नहीं जानते कि पेड़ पौधों की हवा का कोई मुकाबला ही नहीं है| वे कंक्रीट का जंगल बना रहे हैं और प्लास्टिक के फूलों पर इतरा रहे हैं पर नकली नकली होता है असली असली होता है| पेड़ों की ह्त्या के लिए कड़ी सजा के प्रावधान होने चाहिएं मौजूदा कानून कारगर नहीं हैं| सबसे बड़ी चीज बागवानी या प्रकृति प्रेम के प्रति नजरिया भी आमतौर पर लापरवाह और उदासीन है जो और भी खतरनाक है| किसी से कहिए पेड़ को पानी दे तो कह सकता है कि हमें तो पीने को भी नसीब नहीं होता... अब कौन समझाए कि हालात यही रहे तो बाबू एक दिन हवा भी नसीब नहीं होगी|रमेश शर्माhttps://www.blogger.com/profile/02460937692115119359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-57626168682671443692011-02-09T16:13:27.552+05:302011-02-09T16:13:27.552+05:30बिल्कुल सही कह रहें हैं आप मैं आपकी बात से सहमत हू...बिल्कुल सही कह रहें हैं आप मैं आपकी बात से सहमत हूँ पर जिस गति से दुनियां आगे बढ रही और जिस कदर इन्सान की जरूरतों मै इज़ाफा हो रहा है तो इससे तो लगता है इसपर अंकुश लगाना थोडा मुश्किल ही काम है , पर हाँ अगर मिलकर प्रयास किया जाये तो कुछ हद तक इसे सफल बनाया जा सकता है !<br />विचारणीय प्रस्तुति !Minakshi Panthttps://www.blogger.com/profile/07088702730002373736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-77309936225075742002011-02-09T15:43:23.494+05:302011-02-09T15:43:23.494+05:30आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल...आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br /> प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (10/2/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br /> देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।<br />http://charchamanch.uchcharan.comvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-65274506036803522952011-02-09T11:05:09.670+05:302011-02-09T11:05:09.670+05:30ललित जी ने सही कहा। सार्थक आलेख। धन्यवाद।ललित जी ने सही कहा। सार्थक आलेख। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-30192974250645712302011-02-09T09:23:17.162+05:302011-02-09T09:23:17.162+05:30अत्यंत चिंतनपरक / सारगर्भित प्रस्तुति ! आपका आभार ...अत्यंत चिंतनपरक / सारगर्भित प्रस्तुति ! आपका आभार !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-49231937714458001322011-02-09T09:11:32.829+05:302011-02-09T09:11:32.829+05:30कितना कीमती हो सकता है विकास, हमारी प्रगति.कितना कीमती हो सकता है विकास, हमारी प्रगति.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9115179131781037598.post-90056089179552769612011-02-09T09:02:03.269+05:302011-02-09T09:02:03.269+05:30@समाज-सेवी संस्था चलाने वालों को अनुदान बटोरने और ...@समाज-सेवी संस्था चलाने वालों को अनुदान बटोरने और डकारने से फुर्सत नहीं।<br /><br />काश! यही बात अनुदान देने वाले भी समझ पाते,कौन सुपात्र है और कौन कुपात्र। लेकिन वहाँ भी...........। जय राम जी की।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.com