Friday, April 28, 2023

उत्कल गौरव मधुसूदन दास ; ओड़िशा राज्य के प्रथम स्वप्न दृष्टा

 

          (आलेख - स्वराज्य  करुण  )

  छत्तीसगढ़ , झारखण्ड और बंगाल के निकटतम पड़ोसी उत्कलवासी आज 28 अप्रैल को आधुनिक ओड़िशा राज्य के प्रथम स्वप्नदृष्टा  स्वर्गीय मधुसूदन दास को उनकी जयंती के दिन ज़रूर याद कर रहे होंगे । उन्होंने आज से लगभग 120 साल पहले अलग ओड़िशा राज्य का सपना देखा था और जनता को इसके लिए प्रेरित और संगठित किया था। 


                 


 ओड़िशा के समाचार पत्रों , ओड़िशा के टीव्ही चैनलों और सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों में भी आज लोग अलग -अलग तरीके से लोग उनके व्यक्ति और कृतित्व की चर्चा कर रहे होंगे। उत्कलवासियों ने उन्हें  'उत्कल गौरव 'का लोकप्रिय और आत्मीय सम्बोधन दिया । वह आज भी इसी सम्बोधन से याद किये जाते हैं । भारत सरकार ने उनके सम्मान में डाकटिकट भी जारी किया था  ।वह बैरिस्टर (वकील ) होने के साथ -साथ विद्वान लेखक , चिन्तक और ओड़िया भाषा के लोकप्रिय साहित्यकार भी थे । उनका जन्मदिन ओड़िशा में 'वकील दिवस ' के रूप में भी मनाया जाता है ।

    स्वर्गीय मधुसूदन दास का जन्म 28 अप्रेल 1848 को तत्कालीन ब्रिटिश प्रशासित बंगाल प्रेसीडेंसी के अंतर्गत उत्कल क्षेत्र के ग्राम सत्यभामापुर (जिला -कटक) में हुआ था । उनका  निधन 4 फरवरी 1934 को कटक में हुआ । उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एम .ए .और वकालत की शिक्षा प्राप्त की थी । स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण  योगदान दिया । वह पहले ऐसे प्रबुद्ध नागरिक थे ,जिन्होंने सबसे पहले एक अलग ओड़िशा राज्य की परिकल्पना की और इसके लिए लोगों को संगठित कर वर्ष 1903 में उत्कल सम्मिलनी की स्थापना की और इस  मंच के माध्यम से  लगातार जन जागरण का अभियान चलाया । सितम्बर 1897 में उन्होंने ब्रिटेन जाकर लंदन में   ब्रिटिश सरकार के सामने पृथक ओड़िशा राज्य की मांग रखी ।वह 1907 में एक बार फिर लंदन गए और ओड़िशा वासियों की समस्याओं और भावनाओं की ओर  ब्रिटिश सरकार का ध्यान आकर्षित किया । उत्कल सम्मिलनी के माध्यम से ओड़िशा राज्य निर्माण के लिए उनके नेतृत्व में जन जागरण के साथ -साथ जन आंदोलन भी चलता रहा ।

लेकिन  यह विडम्बना ही है कि ओड़िशा राज्य निर्माण का उनका सपना  उनके जीवनकाल में पूरा नहीं हो पाया । विधि का विधान देखिए कि ओड़िशा राज्य निर्माण के करीब 2 साल पहले ही 4 फरवरी 1934 को लगभग  86 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया  । ओड़िशा राज्य एक अप्रैल 1936 को अस्तित्व में आया ।  

       -स्वराज्य  करुण

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