Saturday, May 18, 2019

(सुझाव ) मेरिट लिस्ट वालों का होना चाहिए लिखित और मौखिक इंटरव्यू !

                                  - स्वराज करुण 
   बोर्ड परीक्षाओं में मेरिट लिस्ट में आने वाले विद्यार्थियों का एक विशेष  लिखित और मौखिक  इंटरव्यू  लिया जाना चाहिए ,जो विषय -विशेषज्ञों की समिति के सामने हो ,ताकि उनकी प्रावीण्यता की पुष्टि हो सके । कुछ वर्ष पहले बिहार में ऐसा किया गया था । मेरिट लिस्ट वाले अधिकांश विद्यार्थी आसान सवालों के भी जवाब नहीं दे पाए ।
        वर्तमान में देश के लगभग सभी राज्यों में यह देखा जा रहा है कि बोर्ड परीक्षाओं में 90 प्रतिशत से ज्यादा विद्यार्थी हर विषय में 80 से 99 प्रतिशत तक अंक हासिल कर रहे हैं । लम्बी -लम्बी मेरिट सूची निकल रही है । निश्चित रूप से उनकी गिनती मेधावी विद्यार्थियों में होती है और होनी भी चाहिए ,लेकिन  आज से दो -तीन दशक पहले 60 प्रतिशत या उससे ज्यादा अंकों वाले विद्यार्थियों को प्रथम श्रेणी में माना जाता था और उनकीअंक -सूची में भी इसका उल्लेख होता था ।राज्य स्तर पर मेरिट के अंक 70 प्रतिशत या उससे ऊपर के हुआ करते थे । पिछले कुछ वर्षों में कई फर्जी टॉपर भी पकड़े गए हैं ।
           यह सच है कि समय के साथ-साथ  शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में भी बदलाव आया है । होना भी चाहिए ।कम्प्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे नये विषय आ गए हैं , जो स्वाभाविक है । इसके बावज़ूद देश के विभिन्न राज्यों में 10-12 वीं बोर्ड की परीक्षाओं में भारी संख्या में विद्यार्थियों का 80 प्रतिशत से ज्यादा अंक हासिल करना हम जैसे सामान्य नागरिकों के लिए आश्चर्य का विषय है !  शायद ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्नों की भरमार इसका एक प्रमुख कारण होगा। वैसे इस बारे में विद्वान शिक्षाविद बेहतर बता पाएंगे  ।
फिर भी हमारा सुझाव है कि परीक्षा परिणाम घोषित होने के कुछ दिनों के बाद मेरिट सूची के विद्यार्थियों का मौखिक और लिखित इंटरव्यू लिया जाए और उसमें सफल होने वालों को ही मेरिट सूची में रखा जाए । 
     मिट्टी के घड़े को परखने  के लिए उसे कई बार ठोक बजाकर देखना पड़ता है । असली सोने या हीरे की पहचान के लिए और लोहे को इस्पात बनाने के लिए  उन्हें कई कठिन प्रक्रियाओं से  गुजारा जाता है । तो फिर मेरिट सूची की पुष्टि करने  के लिए एक सामान्य मौखिक और लिखित साक्षात्कार लेने में क्या हर्ज है ?  विश्वविद्यालयों की मेरिट सूचियों  को परखने के लिए भी कुछ इसी तरह की प्रक्रिया अपनायी जा सकती है ।
         - स्वराज करुण

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (20-05-2019) को "चलो केदार-बदरी" (चर्चा अंक- 3341) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय शास्त्रीजी ! आपकी इस सहृदयता के लिए हॄदय से धन्यवाद ।

      Delete