Thursday, November 17, 2011

अधर्मी निकला धरम सिंह !

  •  नाम है उसका धरम सिंह ,लेकिन वह तो  घोर अधर्मी निकला !  सरकार ने उसे बहुत भरोसे के साथ  उत्तराखंड  के बाज़ार में असली-नकली दवाइयों की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी थी ,ताकि जनता को नकली दवाओं के प्रकोप से बचाया जा सके ,लेकिन उसने सबका भरोसा तोड़ दिया . टी. व्ही. चैनल 'आज तक ' में कल  रात प्रसारित यह खबर देख कर देश का हर आम नागरिक हक्का-बक्का रह गया . धरम सिंह के बैंक लॉकरों  की जांच में विजिलेंस वाले भी भौचक रह गए  .लॉकर  खुलने पर दो करोड़  11 लाख रूपए से ज्यादा नगदी काली कमाई के रूप में पायी गयी . उसके घर में करोड़ों की संपत्ति , सोने की मूर्तियां , सोने-चाँदी के बर्तन मिले , कई शहरों में उसके  करोड़ों के बंगले होने की जानकारी मिली. धरम सिंह ने कोई धरम-करम करके तो यह सब हासिल नहीं किया . उसने असली के नाम पर नकली दवा बेचने वाले मौत के सौदागरों को काले कारोबार की छूट देकर रिश्वत की बुनियाद पर अपना यह काला आर्थिक साम्राज्य खड़ा किया.इतनी अथाह काली कमाई से भी उसका दिल नहीं भरा तो वह अपनी आदत के मुताबिक़ एक एक दवा व्यापारी से रिश्वत मांग बैठा,जिसने विजिलेंस वालों से शिकायत कर दी और वह रंगे हाथों पकड़ा गया ,तब उसकी काली करतूत उजागर हो पायी . 
         मैं जब टी.व्ही के परदे पर धरम सिंह के बैंक लाकर से ज़ब्त करोड़ों रूपयों के बंडल देख रहा था तो मुझे मध्यप्रदेश के एक बड़े अफसर दम्पत्ति के घर कुछ बरस पहले हुए इसी तरह के एक छापे की याद आ रही थी. इस अफसर दम्पत्ति के घर तो लगभग ढाई सौ करोड़ रूपए की अनुपातहीन संपत्ति उजागर हुई थी . धरम सिंह से तो ढाई करोड़ रूपए से भी कम नोट बरामद हुए .काली कमाई के लिहाज़ से यह रकम भी कम नहीं है , यह भी सच है कि धरम सिंह ने कोई धरम-करम करके तो यह सब हासिल नहीं किया .उसने भी एक प्रकार की डकैती करके जनता को लूटकर धन-संपत्ति बनायी .देश में ऐसे धरम सिंहों की कोई कमी नहीं है,जिनका धर्म ही सरकारी ओहदों के ज़रिये जनता के धन पर डाका डालना है. कलमाडी ,कनीमोझी ,ए, राजा और भी कितने ही घोषित-अघोषित डाकूओं के हैरतंगेज़ कारनामे विगत महज़ एक-दो साल में हम देख चुके है. शर्मनाक बात यह है कि इन डाकूओं के घरों -बैंक लॉकरों  से निकलने वाले अनुपातहीन चोरी -डकैती के नोटों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर छपी होती है , जो सत्य और अहिंसा के महान पुजारी थे . अगर उनके सामने यह सब हुआ होता ,तो शायद वह आत्महत्या कर लेते .
          बाबा रामदेव ने इलाहाबाद में परसों मंगलवार को  ठीक ही तो कहा है कि .भ्रष्टाचारियों के कारण ही देश की दुर्गति हो  रही है .भ्रष्टाचार कर्नल गद्दाफी का प्रतीक  है .हमारे यहाँ के भ्रष्टाचारियों का अंजाम भी लीबिया के तानाशाह कर्नल गद्दाफी जैसा होना चाहिए .  अब आगे-आगे देखिए ,होता है क्या ? भ्रष्टाचारियों की काली कमाई से निर्मित बाग-बगीचों और आलीशान विशाल बंगलों को ज़ब्त कर उन्हें राष्ट्रीय संपत्ति घोषित क्यों नहीं किया जाता ? ऐसे ज़ब्तशुदा बंगलों में गरीबों के लिए धर्मशाला ,पाठशाला , और अस्पताल क्यों नहीं खोला जाना चाहिए ?
                                                                                       स्वराज्य करुण

3 comments:

  1. ऐसे अधर्मी अपने प्रदेश में भी है, पर उनके लाकर कौन खुलवाए?
    सारे दवाई बाजार में एक वर्ग विशेष ने कब्जा जमा रखा है और इनकी नकली दवाई का शिकार मैं भी हुआ हूँ। मैने कम्पनी को नोटिस भेजा था रजिस्टर्ड उसका जवाब आज तक नहीं आया है।

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  2. ललित भाई !आपका कहना एकदम सही है . आज सवेरे के अखबारों की सुर्ख़ियों में है -एंटी करप्शन ब्यूरो के छापे में राज्य सहकारी विपणन संघ का एक अधिकारी सवा चार करोड़ रूपए का आसामी निकला. उसका नाम भागवत है. उसने भागवत पुराण को भी अपवित्र कर दिया.
    हमें विजिलेंस वालों को धन्यवाद देना चाहिए कि वे ऐसे लोगों को लगातार बेनकाब कर रहे हैं .

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  3. जल्द -से जल्द ऐसे लोगों का बेनकाब होना आवश्यक है

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