Monday, June 20, 2011

डाक घर बचत योजनाएं : ब्याज पर भी टैक्स की गाज !

                                                                                                   
                                                                                                                   - स्वराज्य करुण
                 आज की बचत ,कल की सुरक्षा  कह कर आम जनता को डाक घर बचत योजनाओं में रूपया जमा करने के लिए आकर्षित  करने वाले अब किस मुंह से लोगों को सुरक्षित भविष्य के वास्ते उनमे निवेश की नसीहत देंगे,यह देखने वाली बात होगी .खबर आयी है कि केन्द्र सरकार ने पोस्ट-ऑफिस बचत खातों पर जमाकर्ताओं को मिलने वाले ब्याज पर भी आय-कर लगाने का निर्णय लिया है और लागू भी कर दिया है.
                 इस महीने की पन्द्रह तारीख को अखबारों में छपे समाचारों के  अनुसार अगर में आपके व्यक्तिगत बचत-खाते में   जमा-राशि पर आपको  मिलने वाले ब्याज की राशि साढ़े तीन हजार रूपए से ज्यादा है ,तो आपको अधिक ब्याज की राशि पर इनकम-टैक्स भरना होगा   इसी तरह अगर संयुक्त खाते में जमा राशि पर आपको देय ब्याज की रकम सात हजार रूपए से अधिक हो रही है, तो ब्याज की इस अधिक रकम पर भी आपको इनकम-टैक्स लगेगा . यानी हमारे  ब्याज के अधिकार पर आय-कर विभाग  की  गाज  !
              इस प्रकार का निर्णय लेने वालों को यह सोचना चाहिए था कि भारतीय डाक-घर बचत योजनाओं में कोई सफेदपोश डाकू  अपना काला -धन जमा नहीं करता. वह तो स्विस -बैंक से नीचे की  सोचता भी नहीं ! हमारे देश के डाक घरों में अधिकाँश सामान्य तबकों के लोग बचत खाते खुलवाते हैं . आज से कुछ साल पहले तक  छोटे जमा कर्ताओं के लिए डाक-घर बचत-योजनाएं  बहुत आकर्षक हुआ करती थीं. निम्न मध्यम वर्गीय परिवार और सरकारी कर्मचारी वास्तव में डाक-घरों में ही खाते खुलवाया करते थे.  इन बचत-खातों पर कम से कम बारह प्रतिशत वार्षिक ब्याज मिलता था ,लेकिन देश में हो रहे तथाकथित आर्थिक सुधारों के  चलते पिछले  एक दशक में इसमें लगातार कमी की होती  रही है  इससे खातेधारकों में ब्याज दरों का आकर्षण जाता रहा .
   हालांकि आज राष्ट्रीयकृत और अन्य वाणिज्यिक बैंको में भी जमा राशियों पर ब्याज दरें कोई खास लुभावनी नहीं है ,लेकिन भारतीय डाक-विभाग को तो कम से कम अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों के तहत इस पर ध्यान देना चाहिए .क्योंकि बैंकों के मुकाबले उनकी शाखाएं दूर-दराज गाँवों तक विस्तारित हैं और आम जनता की त्वरित पहुँच में हैं . जमाकर्ताओं के जमा धन से आप कितने ही प्रकार के ज़रूरी काम निकालते रहते हैं, लेकिन उन्हें जमा राशि पर आखिर कितना फायदा दे रहे  हैं  ?
    आज की स्थिति में डाक-घर के सेविंग एकाऊंट में सालाना केवल साढ़े तीन प्रतिशत ब्याज मिल रहा है. अगर आपने पांच वर्ष का  रिकरिंग खाता खुलवाया है ,तो उस पर साढ़े सात प्रतिशत और सावधि बचत योजनाओं में एक वर्ष के लिए सवा छह प्रतिशत ,दो साल के लिए साढ़े छह प्रतिशत ,तीन साल के लिए सवा सात प्रतिशत और पांच साल के लिए साढ़े सात प्रतिशत सालाना ब्याज मिल रहा है. राष्ट्रीय बचत पत्र योजना और पन्द्रह वर्षीय लोक-भविष्य निधि यानी पी.पी. एफ. पर जमा करता को आठ प्रतिशत ब्याज दिया जा रहा है. याद कीजिए दस-पन्द्रह साल पहले इन बचत योजनाओं में आपको कितना ब्याज मिलता था ?
       ज़ाहिर है कि  किसी भी जमाकर्ता के लिए ब्याज की ये वर्तमान दरें आकर्षक तो बिलकुल ही नहीं है. फिर भी उसे  मिलने वाले  नाम मात्र के  इस ब्याज पर भी अगर इनकम -टैक्स वालों की निगाहें लगी होंगी तो भला कौन साधारण निवेशक  अपनी मेहनत की कमाई  उसमे जमा करना चाहेगा ?   डाक-घर के बचत  खातों में कोई काला धन जमा नहीं होता .आम जनता की छोटी-छोटी बचत जमा होती हैं
         कीमतें बढ़ रही हैं,  महंगाई आसमान छू रही है ,लेकिन अपना पेट काट कर भविष्य की ज़रूरतों के लिए बचत-योजनाओं में राशि जमा करने वालों के जमा धन पर ब्याज दर में कोई इजाफा नहीं हो रहा है .कर्ज़दार को  बैंक-ऋणों पर जितना अधिक  ब्याज  भरना होता है, उसकी तुलना में उसे अपने खाते में जमा राशि पर न्यूनतम ब्याज मिल रहा  है .  भारतीय रिजर्व बैंक हर कुछ महीनों के अंतराल में अपनी मुद्रा-नीति में  संशोधन  करते हुए रेपो-रेट और रिवर्स रेपो रेट बढा कर व्यावसायिक बैंकों में आवास ऋणों पर ब्याज-दर बढाता जा रहा है , मकान बनाने के लिए कर्ज लेना कठिन होता जा रहा है.
           ऐसे मुश्किल  समय में  डाक घर बचत योजनाओं में अगर जमाकर्ताओं को सरकार जमा राशि पर कुछ बेहतर ब्याज दे और वह ब्याज आयकर से मुक्त रहे ,तो छोटे निवेशकों को काफी राहत मिलेगी.इससे इन बचत योजनाओं को अपनी  खोयी हुई लोकप्रियता भी वापस मिल सकेगी  . 
                                                                                                          -स्वराज्य करुण

7 comments:

  1. economist log baithe hue hai govt me....tax hi ek raasta bacha hai...paisa ugaane ka...vicharniy post.

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  2. विचारणीय पोस्ट| धन्यवाद|

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  3. ..फ़िलहाल तो ब्याज दरें काफी आकर्षक हो गई हैं.

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  4. बचत खाते पर ब्याज कर मुक्त है

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  5. 10000 रूपये तक ब्याज प्रति वर्ष कर मुक्त है ..और छोटी बचत वालो के लिए 10000 प्रति वर्ष ब्याज कमाना आसान नहीं है बहुत मुश्किल है

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